नई दिल्ली, 22 सितंबर (हि.स.)। कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौत के लिए मुआवजा तय कर दिया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर दिया है। आज इस बात की जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी। कोरोना से हुई हर मौत के लिए परिवार को 50 हजार रुपये का मुआवजा मिलेगा। राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से ये पैसे मिलेंगे। इस मामले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच कल यानी 23 सितंबर को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को कोरोना से मौत को मृत्यु प्रमाणपत्र में दर्ज करने के सरकार के फैसले पर संतोष जताया था। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना पीड़ित के आत्महत्या करने पर मौत की वजह कोरोना न लिखने के प्रावधान पर दोबारा विचार हो। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने कोरोना मृत्यु प्रमाणपत्र को दिशानिर्देश जारी कर दिया है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 30 दिन के भीतर अगर मौत होती है तो उसे कोरोना से हुई मौत माना जाएगा।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अगर किसी कोरोना मरीज की मौत जहर से, आत्महत्या से, हत्या से या किसी दुर्घटना से हो जाती है तो उसे कोरोना से मौत नहीं माना जाएगा। हलफनामा में कहा गया है कि अगर किसी कोरोना मरीज की घर या अस्पताल में मौत होती है तो रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट की धारा 10 के तहत जो फॉर्म-4 और 4ए जारी किया जाएगा, उसमें मौत का कारण कोरोना लिखा जाएगा। हलफनामा में कहा गया है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इसको लेकर जल्द ही सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के चीफ रजिस्ट्रार के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
कोर्ट ने 30 जून को कहा था कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। हालांकि ये मदद कितनी हो, ये तय करने से कोर्ट ने परहेज किया था। कोर्ट ने कहा था कि मुआवजा तय करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार का वैधानिक कर्तव्य है। कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार को निर्देश दिया था कि वो दिशानिर्देश जारी करे कि कितनी राशि मुआवजे के तौर पर दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया सरल करने का दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया था।