11 अगस्त: इतिहास के पन्नों में
19 साल की उम्र में चूमा फांसी का फंदाः 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में शहादत की ऐसी कहानी लिखी गयी, जिसकी मिसाल इतिहास में कम ही मिलती है। इसी दिन 19 वर्षीय खुदीराम बोस ने फांसी के फंदे को चूम लिया। इतनी कम उम्र में देश के लिए कुर्बानी देने वाले खुदीराम बोस की कहानी हमेशा के लिए अमर हो गयी।
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी गांव में बाबू त्रैलोक्यनाथ बोस और लक्ष्मीप्रिया देवी के यहां हुआ। बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित खुदीराम बोस ने नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और स्वदेशी आंदोलन में कूद गए। उन्होंने रिवोल्यूशनरी पार्टी की सदस्यता ली और 1905 में बंगाल के विभाजन के विरोध में चल रहे आंदोलन में हिस्सा लिया।
दरअसल लॉर्ड कर्जन ने जब बंगाल का विभाजन किया तो उसके विरोध में जनसैलाब उमड़ पड़ा। उस समय कलकत्ता के मजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड ने उन आंदोलनकारियों को कड़ी सजा दी। जिसके बाद फोर्ड को प्रोन्नत कर मुजफ्फरपुर में सत्र न्यायाधीश के पद पर भेजा गया। मिदनापुर में युगान्तर नाम की क्रांतिकारियों की गोपनीय संस्था ने गुप्त बैठक कर किंग्जफोर्ड को मुजफ्फरपुर में ही मारने का निर्णय लिया। इस कार्य के लिए खुदीराम बोस और प्रफुल्ल कुमार चाकी का चयन करते हुए दोनों को बम और पिस्तौल मुहैया कराए गए।
मुजफ्फरपुर पहुंचकर दोनों ने किंग्जफोर्ड के बंगले पर जाकर उसके निकलने और वापस लौटने की रेकी की और बग्घी व घोड़े के रंग का भी मुआयना किया। 30 अप्रैल 1908 को दोनों हमला करने के लिए तैयार थे लेकिन रात साढ़े आठ बजे के आसपास क्लब से किंग्जफोर्ड की बग्घी की तरह दिखने वाली बग्घी आता देख खुदीराम उसके पीछे भागने लगे। अंधेरे में ही उन्होंने बग्घी का निशाना साधकर बम फेंक दिया। भारत में इस पहले बम धमाके की गूंज ब्रिटेन में भी सुनी गयी।
हालांकि खुदीराम बोस ने जिस बग्घी पर बम फेंका था, उसपर किंग्जफोर्ड नहीं बल्कि दो यूरोपीय महिलाएं बैठी थीं, जो हमले में मारी गयीं। किंग्जफोर्ड उस दिन कुछ देरी से क्लब से बाहर आया था इस वजह से वह हमले से बच गया।
हमले के बाद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल कुमार रातोंरात नंगे पैर भागते हुए 24 मील दूर एक पूसा रेलवे स्टेशन पर शरण ली। लेकिन पुलिस ने दोनों को वहां घेर लिया। प्रफुल्ल कुमार ने पुलिस से घिरा देखकर खुद को गोली मार ली और खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर हत्या का मुकदमा चलाया गया।
अपने बयान में खुदीराम ने स्वीकार किया कि उन्होंने किंग्जफोर्ड को मारने का प्रयास किया। लेकिन अफसोस भी जताया कि उनकी गलती से दो निर्दोष महिलाएं मारी गयीं। यह मुकदमा केवल पांच दिनों तक चला और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी। 11 अगस्त 1908 को भागवद्गीता हाथ में लेकर खुदीराम बोस ने फांसी के फंदे को गले लगाया।
अन्य अहम घटनाएंः
1914ः फ्रांस ने ऑस्ट्रिया और हंगारी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
1929ः पर्शिया और इराक के बीच मैत्री संधि पर हस्ताक्षर।
1960ः अफ्रीकी देश चाड ने फ्रांस से स्वतंत्रता हासिल की।
1961ः दादर नगर हवेली का भारत में विलय, इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
1984ः तत्कालीन सोवियत रूस ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।