22 अक्टूबर इतिहास के पन्नों में
एक संन्यासी का जन्मः 22 अक्टूबर 1873 को पंजाब के गुजरांवाला जिले के मुरारीवाला गांव (अब पाकिस्तान) में स्वामी रामतीर्थ का जन्म हुआ। उस दिन दीपावली थी। उसके 33 साल बाद 1906 में संयोग से उस दिन भी दीपावली थी, जब टिहरी गढ़वाल में स्वामी रामतीर्थ ने संदेश लिखकर गंगा में जल समाधि ले ली। बेहद कम उम्र में उन्होंने दुनिया के समक्ष संन्यासी जीवन का ऐसा दृष्टांत प्रस्तुत किया, जो पीढ़ियों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
निर्धन परिवार में जन्म लेने के कारण भूख और बदहाली के बीच उन्होंने माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा हासिल की। उनका शुरुआती नाम तीर्थराम था। बाल्यावस्था में ही उनका विवाह कर दिया गया। वे उच्च शिक्षा के लिए लाहौर गए और 1891 में पंजाब विश्वविद्यालय की बीए की परीक्षा में प्रांत भर में अव्वल आए। अपने प्रिय विषय गणित में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई कर वे इसी कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्त हुए।
लाहौर में ही उन्हें स्वामी विवेकानंद के प्रवचन सुनने और उनका सानिध्य प्राप्त करने का मौका मिला। इसी दौरान उन्होंने गीता, उपनिषद, षड्दर्शन सहित तुलसी, सूर, नानक आदि भारतीय संतों और महात्माओं का गहरा अध्ययन किया। उनके जीवन पर द्वारकापीठ के तत्कालीन शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।
इसके बाद उनके जीवन में घटनाएं बड़ी तेजी से उन्हें संन्यास मार्ग की तरफ ले गयी। वर्ष 1901 में प्रो. तीर्थराम लाहौर से अंतिम विदा लेकर परिजन सहित हिमालय की ओर प्रस्थान कर गए। देवप्रयाग पहुंचकर उन्होंने पैदल मार्ग से गंगोत्री जाने की योजना बनायी। टिहरी के समीप पहुंच कोटि ग्राम में शाल्माली वृक्ष के नीचे उन्होंने अपना पड़ाव डाला। मध्य रात्रि को उन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ और वे प्रो. तीर्थराम से रामतीर्थ हो गए। उन्होंने संन्यास ले लिया और पत्नी सहित साथ आए तमाम प्रियजन को वहीं से वापस लौटा दिया। सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर स्वयं उन्होंने घोर तपस्या की।
उनसे प्रभावित होकर टिहरी रियासत के तत्कालीन नरेश कीर्तिशाह ने जापान में होने वाले विश्व धर्म सम्मेलन में उनके जाने का प्रबंध किया। विदेश यात्रा में उन्होंने भारतीय संस्कृति के उद्घोष और व्यावहारिक वेदान्त पर चर्चा की। टिहरी को आध्यात्मिक प्रेरणास्थली मानने वाले स्वामी रामतीर्थ 1906 में दोबारा यहां लौटे और दीपावली के दिन गंगा में समाधि लेकर इसे मोक्षस्थली के रूप में प्रतिष्ठित किया। स्वामी रामतीर्थ का कहना था- ‘आप जिन सुख साधनों पर भरोसा करते हैं उसी अनुपात में इच्छाएं बढ़ती हैं। शाश्वत शांति का एकमात्र उपाय आत्मज्ञान है। अपने आप को पहचानो, तुम स्वयं ईश्वर हो।’
अन्य अहम घटनाएं:
1680: मेवाड़ के महाराणा राज सिंह का निधन।
1879: बसुदेव बलवानी फड़के पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला राजद्रोह का मुकदमा।
1893: पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे पुत्र दलीप सिंह का निधन।
1900: भारत के सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अशफाकउल्ला खां का जन्म।
1933: सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई एवं स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल का निधन।
1937: फिल्म अभिनेता कादर खान का जन्म।
1947: मशहूर भारतीय कवि अदम गोंडवी का जन्म।
1962: भारत की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भाखड़ा नांगल राष्ट्र को समर्पित।
2008: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण।