नई दिल्ली, 20 सितम्बर (हि.स.)। तमिलनाडु के मंडपम में भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) की टीम ने रविवार को समुद्री प्रजाति की दो टन प्रतिबंधित खीरे जब्त किये। इस अवैध ट्रांसशिपमेंट के बारे में सूचना मिलने पर आईसीजी की टीम हरकत में आई और तस्करी में शामिल संदिग्ध नाव को ट्रैक किया। समुद्री मार्ग से आने वाली नाव को घेरने के लिए मन्नार की खाड़ी एवं भारत और श्रीलंका के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच खाड़ी क्षेत्रों में आईसीजी टीमों को तैनात किया गया था।
आईसीजी प्रवक्ता के अनुसार नाव को मंडपम के वेदालाई दक्षिण से लगभग 15 किलोमीटर दूर रविवार को सुबह 10.30 बजे अपने चालक दल के बिना लंगर में पाया गया, जिसके बाद तटरक्षक की टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया। आईसीजी होवरक्राफ्ट एच-183 की बोर्डिंग टीम ने 2000 किलो वजनी प्रतिबंधित समुद्री खीरे के 200 बोरे बरामद किए। जब्त समुद्री खीरे के साथ नाव को तमिलनाडु के रामेश्वरम के पास मंडपम लाकर वन अधिकारियों को सौंप दिया गया। जब्त समुद्री खीरे की कीमत करीब आठ करोड़ रुपये बताई जा रही है। जांच करने पर पता चला है कि तस्करों की योजना अंधेरा होने पर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पार ट्रांसशिपमेंट करने की थी। चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में समुद्री खीरे की अत्यधिक मांग है।
इससे पहले जुलाई के महीने में मंडपम में तटरक्षक दल ने लगभग 1200 किलोग्राम समुद्री खीरे जब्त करते हुए दो तस्करों को गिरफ्तार किया था। भारत में समुद्री खीरे को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में माना जाता है। इसकी तस्करी मुख्य रूप से रामनाथपुरम और तूतीकोरिन जिलों से मछली पकड़ने वाले जहाजों के जरिये तमिलनाडु से श्रीलंका के लिए की जाती है।
क्या है समुद्री खीरे
समुद्री खीरे होलोथुरोइडिया वर्ग के इचिनोडर्म हैं। यह एक तरह से चमड़े की त्वचा वाले समुद्री जानवर हैं, जिनका लम्बा शरीर होता है। समुद्री खीरे दुनिया भर में समुद्र तल पर पाए जाते हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या के साथ दुनिया भर में होलोथुरियन प्रजातियों की संख्या लगभग 1,717 है। इनमें से कई प्रजातियां मानव उपयोग के लिए हैं और कुछ प्रजातियों की जलीय खेती की जाती है। समुद्री खीरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक उपयोगी भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे पोषक तत्वों को रीसाइकिल करने में मदद करते हैं। साथ ही अन्य कार्बनिक पदार्थों को नष्ट करने के बाद बैक्टीरिया में गिरावट की प्रक्रिया जारी रख सकते हैं। समुद्री खीरे का नाम खीरे के पौधे के फल के समान होने के कारण रखा गया है।