मुख्यमंत्री योगी बोले, सरकारी राशन की दु​कान निरस्त होने पर महिला स्वयं सहायता समूह को पहली प्राथमिकता

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    97,663 स्वयं सहायता समूह व उनके संगठनों को 445.92 करोड़ की धनराशि ऑनलाइन की हस्ता​न्तरित 



लखनऊ, 18 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को 97,663 स्वयं सहायता समूह एवं उनके संगठनों को 445.92 करोड़ की धनराशि ऑनलाइन हस्ता​न्तरित की।
इस मौके पर उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों से बातचीत कर उनके कार्यों की जानकारी की और उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सरकारी राशन की दुकान अनियमितता पर निरस्त होने पर महिला स्वयं सहायता समूह को प्राथमिकता पर इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी उन्हें प्रदान किया जाएगा।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबन का जो कार्यक्रम हो सकता है उसमें महिला स्वयंसेवी समूह की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है। उन्होंने बुन्देलखण्ड के बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी का जिक्र करते हुए कहा कि कम्पनी ने एक वर्ष में 46 करोड़ का कारोबार किया और 2.26 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।
उन्होंने कहा कि यह सम्भावना केवल बुन्देलखण्ड में ही नहीं है बल्कि प्रदेश के हर जनपद हर स्तर पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि केवल हमारे प्रशासनिक अधिकारी और इस व्यवस्था से जुड़े अधिकारी स्वयंसेवी समूह के साथ अगर मिल कर काम करना प्रारंभ कर देंगे तो हर जनपद में हम ऐसे महिला स्वयंसेवी संगठन खड़ा कर सकते हैं, जो मातृशक्ति के स्वावलंबन की दिशा में एक बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक महिला स्वयंसेवी समूह मनरेगा के अंतर्गत और भी कार्य करने के इच्छुक है। प्रशासन को चाहिए कि उनके साथ संवाद बनाकर हम उन्हें कार्य देने के लिए प्रेरित करें। शासन के सभी कार्यक्रम उन तक पहुंचाने का कार्य करें, जिनसे वह अधिक से अधिक कार्यों से जुड़कर शासन की योजना से जुड़ें और दूसरों के लिए प्रेरण बन सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के अंदर इस दिशा में पिछले आठ महीनों के दौरान बहुत कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि हर ग्राम पंचायत में बैंकिंग कॉरस्पॉडेंट सखी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उनकी ट्रेनिंग का कार्यक्रम हो रहा है। ट्रेनिंग के बाद ये हर गांव में बैंकों से जुड़कर कार्य करेंगी। प्रदेश में लगभग 59 हजार  ग्राम पंचायतें हैं। वहीं 700 से अधिक नगर निकाय हैं। लेकिन, बैंकों की संख्या प्रदेश में कुल 18,000 है। ऐसे में लोगों को दूर जाकर बैंक कार्य करने पड़ते हैं।
इसमें समय लगता है। ऐसे में जब यह बीसी सखी गांव में काम करेंगी तो लोगों को किसी भी समय रुपये जमा करने और निकालने की सुविधा गांव में ही प्राप्त हो सकेगी। अनेक महिला स्वयंसेवी समूह से जुड़ी हुई सदस्यों को इसके साथ जुड़ने का अवसर मिला है। राज्य में 58 हजार से अधिक बीसी सखी ग्राम पंचायतों में कार्य करेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा इसी प्रकार सामुदायिक शौचालयों की स्वच्छता और उसके रखरखाव की व्यवस्था की बात करें तो हर ग्राम पंचायत में एक एक सामुदायिक शौचालय बनना है। इस तरह 59000 ग्राम पंचायतों में एक-एक शौचालय बनेगा तो महिला स्वयंसेवी समूह से जुड़ी इतनी ही महिलाओं को उसके साथ जुड़ने का मौका मिलेगा। उन्हें 6,000 रुपये महीने की धनराशि रखरखाव और साफ सफाई की व्यवस्था के बदले दी जाएगी। इससे स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह भी निर्णय किया है कि प्रदेश के जितनी भी राशन की दुकानें हैं, वहां अगर कोई अनियमितता की शिकायत आती है और दुकान निरस्त होती है तो पहली प्राथमिकता गांव की महिला स्वयंसेवी समूह को दी जानी चाहिए। महिला स्वयंसेवी समूह को वह कोटे की दुकान दी जाएगी। इसके लिए उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण की आवश्यकता है तो वह भी दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सामने आया कि एक जगह ट्रैक्टर से राशन लाने का काम महिला स्वयंसेवी समूह से जुड़ी महिला कर रही है। यह महिला स्वावलंबन और मिशन शक्ति का प्रभाव है और उसका परिणाम है। उन्होंने कहा कि एक महिला जब स्वावलंबन के साथ आगे बढ़ती है, तो परिवार ही नहीं बल्कि वह समुदाय और पूरे गांव के सामने एक विश्वास का प्रतीक बनता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले चरण में प्रदेश के अंदर 200 से अधिक विकास खंडों में बाल विकास और पुष्टाहार के द्वारा दिए जाने वाली पोषाहार की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी महिला स्वयंसेवी समूहों को दी है। प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक निर्णय किया है कि सभी 821 विकास खंडों में हम लोग महिला स्वयंसेवी समूहों के माध्यम से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि पहले चरण में यह कार्यक्रम बेहद अच्छे ढंग से आगे बढ़ रहा है। यह कार्यक्रम अगर सफलतापूर्वक आगे बढ़ जाता है तो यह अपने आप में देश के लिए एक मानक होगा। इससे समय पर कुपोषित महिलाओं, बच्चों को उनका पोषाहार उपलब्ध होगा और वह इसका सेवन कर सकेंगे। इस तरह जागरूकता कार्यक्रम आगे बढ़ाएं तो उसका व्यापक प्रभाव सामुदायिक स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।

 


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