एक अणे मार्ग के नेक संवाद से तीसरी बार नीतीश ने दिये अधिकारियों को नेक निर्देश, कहा-अपराध रोकिये
पटना, 12 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में बढ़ते अपराध से बहुत चिंतित हैं। अधिकारियों को लगातार सख्ती का निर्देश दे रहे हैं, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पा रहा है। राज्य में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए शनिवार को भी उन्होंने एक अणे मार्ग के नेक संवाद में विधि व्यवस्था को ठीक करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार, डीजीपी एके सिंघल और अपर मुख्य सचिव गृह आमिर सुबहानी सहित तमाम बड़े अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर नेक निर्देश। 15 दिनों में यह उनकी तीसरी समीक्षा बैठक थी। इसमें भी लगभग वही रटंत बातें दुहरायी गई जो पिछली बैठक में कही थी।
बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर अधिकारियों को महत्वपूर्ण सख्त निर्देश दिये। कहा, सभी के सहयोग से बिहार को विकसित राज्य बनायेंगे। विधि व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की पहली जिम्मेवारी है। अपराध नियंत्रण को लेकर किसी प्रकार की कोताही न बरतें। कानून का सख्ती से पालन हो और कोई भी गड़बड़ करने वाला बचे नहीं। अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था के सख्त होने से राज्य में हो रहे विकास कार्यों का वास्तविक लाभ लोगों को मिलेगा। क्राइम कंट्रोल के लिए पूरी मजबूती के साथ काम करें। रात्रि गश्ती के साथ ही अनिवार्य रूप से हो नियमित गश्ती की जाये। शराबबंदी का सख्ती से पालन कराएं और धंधेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। ओवरलोडिंग और ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष नजर रखें, उनके खिलाफ हो रहे अपराध में संलिप्त लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाये। भूमि विवाद के समाधान के लिए सभी संबंधित अधिकारी नियमित रूप से बैठक करें। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, अभियोजन पदाधिकारी तथा संबद्ध वकील के साथ केस का नियमित रिव्यू करें और उसे अंजाम तक पहुंचायें। अब लोगों को इंतजार है कि अधिकारी मुख्यमंत्री की बातों पर अमल करते हैं या अपराध रोकने में विफल रहते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े सभी प्रमंडलीय आयुक्त, रेंज के आईजी, डीआईजी, एसएसपी, एसपी से जिलेवार अपराध की स्थिति और विधि व्यवस्था से संबंधित विस्तृत जानकारी ली। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक सीआईडी विनय कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक विशेष शाखा जेएस गंगवार, अपर पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय जितेन्द्र कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार, पुलिस महानिरीक्षक मद्य निषेध अमृत राज, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।
जमीन विवाद निबटाने के लिए महीने में एक बार डीएम-एसपी बैठक करें
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि 60 प्रतिशत से ज्यादा झगड़ों का कारण भूमि विवाद है। जमीन से संबंधित आपसी विवाद को खत्म करने के लिए महीने में एक बार जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, 15 दिनों में एक बार एसडीओ और एसडीपीओ तथा सप्ताह में एक दिन अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष निश्चित रूप बैठक करें। साथ ही प्रत्येक शनिवार चौकीदार परेड में चौकीदार गांव से जुड़ी समस्याओं की जानकारी थाने में दें और अंचलाधिकारी-थानाध्यक्ष उसके समाधान के लिए तेजी से काम करें। सभी थाना क्षेत्रों में रात्रि गश्ती के साथ ही नियमित गश्ती भी सुनिश्चित करें।
शराब पीने से कोरोना वैक्सिन का असर कम हो जाता है, सख्ती से शराबबंदी का पालन हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम छात्र जीवन से ही शराबबंदी के पक्षधर रहे हैं। वर्ष 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्रित्वकाल में शराबबंदी लागू की गयी थी। उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शराबबंदी खत्म हो गयी। महिलाओं की मांग पर हमने राज्य में शराबबंदी लागू की। इससे राज्य के लोगों को लाभ हुआ है। हाल ही में आये एक शोध के अनुसार शराब पीने से कोरोना वैक्सिन का असर भी कम हो जाता है। वर्ष 2018 में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में शराब पीने से कई प्रकार की बीमारियों के संबंध में विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं, जिसके बारे में मैं अक्सर लोगों को बताता रहा हूं। इसलिए सख्ती से शराबबंदी का पालन कराएं और धंधेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। राज्य के बाहर के जो लोग इस कारोबार में लिप्त हैं उन्हें भी चिन्हित कर जांच के दायरे में लाएं और उन पर कड़ी कार्रवाई करें। सोशल मीडिया के माध्यम से बिहार के संबंध में नकारात्मक बातों को फैलाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। राज्य में हो रहे बेहतर कार्यों से लोगों को अवगत कराएं।
नियमित रूप से केस का रिव्यू करें, स्पीडी ट्रायल में तेजी लाकर सजा दिलायें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्पीडी ट्रायल में तेजी लाकर सजा की दर को और बढ़ायें। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अभियोजन पदाधिकारी तथा संबद्ध वकील के साथ नियमित रूप से केस का रिव्यू करें और उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए काम करें। लोक शिकायत निवारण कानून को लेकर जिलाधिकारी सजग रहें और इसका लाभ लोगों को दिलायें।