कोलकाता, 11 मार्च (हि.स.)। नंदीग्राम में नामांकन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गिरने और पैर में चोट लगने की घटना पूरे देश में सुर्खियों में छाई हुई है। सीएम ने दावा किया कि चार-पांच लोगों ने जानबूझकर उन्हें धक्का दिया। मौके पर पुलिस मौजूद नहीं थी और उन्हें जान से मारने की साजिश रची गई थी।
मुख्यमंत्री के दावों से अलग घटना के प्रत्यक्षदर्शी कुछ और कहानी बयां कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सीएम को किसी ने धक्का नहीं दिया बल्कि वे खुद भीड़ की वजह से गिर पड़ी थीं। मौके पर मौजूद एक छात्र ने बताया कि जब मुख्यमंत्री वहां आई थीं तब उन्हें देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ लग गई थी। उसी भीड़ से निकलकर जब ममता बनर्जी अपनी गाड़ी की तरफ जा रही थी तो अचानक गिर पड़ी थीं। गाड़ी के दरवाजे में ही उन्हें चोट लगी थी।
एक अधेड़ उम्र के शख्स ने भी इसी तरह की कहानी बयां की है। मीडिया से मुखातिब उस शक्स ने बताया कि सीएम को किसी ने धक्का नहीं दिया। वह गाड़ी की तरफ बढ़ रही थीं और जैसे ही गाड़ी में चढ़ने की कोशिश की, उनका पैर फिसल गया और गिर पड़ी। इसी वजह से उन्हें चोट लगी है।
इन प्रत्यक्षदर्शियों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री के दावे पर सवाल खड़े होने लगे हैं। खास बात यह है कि घटना के 12 घंटे से अधिक का वक्त बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अभीतक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में किसी ने ममता बनर्जी को धक्का दिया था या दुर्घटनावश वह गिर पड़ी थीं?
अमूमन ममता बनर्जी का यह स्वभाव रहा है कि जब भी किसी रैली या क्षेत्र के दौरे पर निकलती हैं तो प्रोटोकॉल तोड़कर आम लोगों के बीच साधारण व्यक्ति की तरह पहुंच जाती हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि नंदीग्राम में भी यही हुआ था। सीएम लोगों की भीड़ के बीच मौजूद थीं और उन्हें देखने के लिए और अधिक भीड़ बढ़ती जा रही थी। इसी भीड़ के बीच अनजाने में दुर्घटना हुई जिसे लेकर सीएम ने हमले का दावा कर दिया।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर सीएम पर हमले नहीं हुए और मुख्यमंत्री ढोंग कर रही हैं तो इसका उन्हें जबरदस्त राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा। नंदीग्राम समेत राज्य के अन्य हिस्सों में लोगों के मन में उनके प्रति नफरत पैदा होगी, साथ ही नंदीग्राम के लोग समझेंगे कि सीएम के प्रति प्रेम के कारण वे देखने गए थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें ही फंसाने की कोशिश शुरू कर दी।
मुख्यमंत्री फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं इसलिए विपक्षी पार्टियों ने तीखा हमला नहीं किया है। सूत्रों ने बताया है कि चुनाव आयोग की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर मुख्यमंत्री के साथ हुआ क्या है।