पटना, 22 अगस्त (हि.स.) । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को ऊर्जा विभाग की 4855 करोड़ रुपए की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस मौके पर नीतीश ने 2005 से पहले बिजली के क्षेत्र में बिहार की स्थिति की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि आज हर घर तक बिजली का कनेक्शन पहुंच गया है। गांव-गांव में बिजली की उपलब्धता है। याद करिए 2005 से पहले बिहार की क्या स्थिति थी? लोग लालटेन और ढिबरी से काम चलाते थे। अब बिजली आ गई है लालटेन की जरूरत नहीं रही है। नीतीश ने कहा कि अगर आगे जनता ने काम करने का मौका दिया तो हर खेत तक पानी पहुंचाएंगे।
शाम होते ही सड़कें हो जाती थीं सुनसान
नीतीश ने कहा कि मैंने 2005 में पूरे बिहार में न्याय यात्रा की थी। गांव-गांव गया था। कहीं बिजली नहीं थी। शाम होते ही सड़कें सुनसान हो जाती थीं । लोग अपने घर चले जाते थे। आज क्या स्थिति है? उन्होंने विपक्ष के नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग सोशल मीडिया पर क्या-क्या बयान देते रहते हैं और उन्हें प्रचार भी मिलता है। मैं ऐसे बयान को प्रचारित करने वालों से कहता हूं कि जरा अपने दिल से पूछिए। पहले क्या स्थिति थी और अब क्या स्थिति है? नीतीश ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले बिहार में करीब 700 मेगावाट बिजली की उपलब्धता थी। आज बिजली की उपलब्धता 5932 मेगावाट हो गई है। कुछ समय पहले मैं शाम को गया से पटना हेलिकॉप्टर से आया था। पूरे रास्ते बिजली की रोशनी दिखी। केंद्र में मंत्री रहते समय मैंने ऐसा तमिलनाडु में देखा था। पहले बिजली कितनी देर उपलब्ध रहती थी। सरकारी ऑफिस या अमीर लोगों के घर में बिजली के लिए डीजल जनरेटर चलाया जाता था।
बिहार सरकार वर्तमान में किसानों को सिंचाई के लिए डीजल सब्सिडी देती है। बिजली से सिंचाई करना डीजल की अपेक्षा सस्ता है। अगर डीजल पंप सेट से सिंचाई करने पर 100 रुपए खर्च होते हैं तो बिजली के पंप से 5 रुपए खर्च होंगे। सरकार हर खेत तक बिजली पहुंचा रही है। किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। बिहार की छोटी नदियों को एक-दूसरे से जोड़ने पर काम करना होगा। अभी बारिश होती है और पानी बेकार बहकर चला जाता है। इस पानी को किसानों के खेत तक पहुंचाना है।
हर घर में लगाना होगा प्रीपेड मीटर
नीतीश ने कहा कि हर घर में प्रीपेड मीटर लगाना होगा। लोगों को गलत बिजली बिल मिल जाता है, जिससे वे परेशान होते हैं। प्रीपेड मीटर लगने से यह परेशानी खत्म होगी। प्रीपेड मीटर लगने पर बिजली का दुरुपयोग रुकेगा और बिजली वितरण का काम कर रही कंपनियों का नुकसान कम होगा। इससे सरकार के पैसे बचेंगे।