बेगूसराय, 30 मई (हि.स.)। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) बरौनी के कोयला अपशिष्ट भंडारण यार्ड निर्माण को लेकर किसान और प्रबंधन के बीच महीनों से जारी विरोध धीरे-धीरे उग्र होता जा रहा है। शनिवार को इस विरोध ने हिंसक रूप ले लिया तथा दोनों ओर से जमकर ईंट, पत्थर और लाठी चला है। जिसमें दोनों पक्ष के 25 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। घायलों में मोकामा सीओ, मरांची थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी तथा करीब दर्जनभर किसान हैं। इस दौरान हंगामा का कवरेज कर रहे एक पत्रकार भी जख्मी हो गया। मामला उग्र होने के बाद बड़ी संख्या में पुलिस के साथ पहुंचे अधिकारियों और किसान प्रतिनिधियों के अथक प्रयास के बाद मामला शांत हुआ तथा तत्काल काम बंद कर दिया गया है। अब पटना डीएम के समक्ष प्रशासनिक अधिकारी, किसान प्रतिनिधि और एनटीपीसी प्रबंधन की बैठक कर मामले का निपटारा अगले सप्ताह किया जाएगा।
बताया जा रहा है शनिवार को एनटीपीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर एवं संवेदक जब उक्त विवादित स्थल पर काम करने के लिए पुलिसकर्मी के साथ पहुंचे थे। इसकी जानकारी मिलते ही रामदीरी, मरांची, चकबल्ली, जगतपुरा के सैकड़ों किसान मौके पर पहुंच गए और खेत में ही धरना देकर काम रोक दिया। किसानों के द्वारा धरना शुरू करते ही पुलिस ने जबरन इन लोगों को हटाना शुरू किया तथा पुलिसकर्मी ने किसान पर हमला कर दिया। उसके बाद किसानों ने भी रोड़ेबाजी शुरू कर दी और देखते ही देखते उस जगह रणभूमि क्षेत्र में तब्दील हो गया। इस दौरान एनटीपीसी के कैंंप कार्यालय को जहां क्षति पहुंची, वहीं दोनों पक्ष से लोग ही घायल होतेे चल गए। मामला उग्र होते ही बेगूसराय सदर एसडीओ, बाढ़ एसडीओ तथा बाढ़ एएसपी बड़ी संख्या में पुलिस बल केेे साथ पहुंचे तथा मौके पर जुटे विभिन्न राजनीतिक दल के प्रतिनिधि तथा किसानों के प्रतिनिधि के सहयोग से कड़ी मशक्कत के बाद बवाल को शांत कराया जा सका है। लेकिन हालत तनावपूर्ण बनी हुई है।
बता दें कि एनटीपीसी विस्तारीकरण के लिए कारखाना से दूूूूूर एश यार्ड बनाया जा रहा है। जिसमें किसानों का कहना है कि बंजर होती जा रही जमीन पर अपशिष्ट भंडारण यार्ड का निर्माण कराने के बदले एनटीपीसी प्रबंधन एवं प्रशासन ने जबरदस्ती उपजाऊ जमीन पर कब्जा कर लिया है। हम लोग किसी हालत में इस उपजाऊ जमीन पर अपशिष्ट यार्ड नहीं बनने देंगे, जान भले चली जाए, लेकिन जमीन नहीं देंगे। किसान इस जमीन के बदले मल्हीपुर मौजा में थर्मल के कचरा के कारण बंजर होती जा रही जमीन के अलावे आसपास की जमीन भी स्वेच्छा से देने को तैयार हैं। लेकिन प्रबंधन उक्त कम उपजाऊ जमीन लेने के बदले पांच किलोमीटर दूर घनी आबादी के बीच स्थित उपजाऊ जमीन पर कोयला अपशिष्ट कचरा का भंडारण करना चाहती है। लगातार आंदोलन के बावजूद सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है। वहीं, प्रबंधन का कहना है वर्षों पूर्व यहां की सरकारी जमीन समेत किसानोंं के जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। लेकिन काम शुरू किया गया तो बेवजह अड़ंगा लगाया जा रहा है।