अंबाजी/अहमदाबाद, 26 मई (हि.स.)। गुजरात के तीर्थस्थल अंबाजी में पिछले 86 वर्षों से बिना भोजन और पानी के रह रहे प्रह्लाद जानी चुनरीवाली माताजी 91 वर्ष की आयु में मंगलवार को चराडा में ब्रह्मलीन हो गये। उन्हें 28 मई, गुरुवार को अंबाजी में समाधि दी जाएगी। भक्तों के दर्शनार्थ उनका पार्थिव शरीर दो दिन तक अंबाजी में रखा जाएगा।
कहा जाता है कि पिछले 86 सालों से उन्होंने बिना भोजन और पानी के बिताये। उनका जीवन डॉक्टरों और विज्ञान के लिए एक पहली था। उनको कई डाक्टरों ने परखा गया भी। उनकी मेडिकल जांच करने वाली टीम का हिस्सा रहे न्यूरो फिजिशियन डॉ. सुधीर शाह ने बताया कि उन्होंने माताजी प्रहलाद जानी का दो बार परीक्षण किया। एक बार 10 दिनों के लिए और फिर 15 दिनों के लिए परीक्षण किया गया था। जिसमें हमारे पास 24 डॉक्टरों की एक टीम मौजूद थी। वहां एक कमांडो टीम भी तैनात की गई थी। 24 घंटे की सीसीटीवी फुटेज भी चालू थे। परीक्षण के परिणामों से पता चला कि माताजी को इतने दिनों तक हवा के कमरे में रखा गया था, जहां बाथरूम भी नहीं था। पहले दस दिन और फिर 15 दिन में उन्होंने कुछ भी नहीं खाया पिया और रही ही लघुशंका अथवा शौच गये।
डॉक्टरों का कहना है कि इतने दिनों तक किसी व्यक्ति के खाने-पीने के बिना रहना संभव है, लेकिन बिना पेशाब किए असंभव। पांचवें दिन एक व्यक्ति की किडनी फेल हो जाती है। डायलिसिस कराना पड़ता है, अगर नहीं किया तो आदमी मर जाता है। यह तो माताजी बायोट्रांसमिशन का मामला हैं। इसकी पूरी जांच की गई। उस समय की अंतिम खोज में कहा गया था कि माताजी ने जांच के दौरान कुछ भी नहीं खाया या पिया नहीं था। उन्होंने कुल्ला करने के पानी के अलावा पानी का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य परीक्षण की टीम में डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज के 32 वैज्ञानिक शामिल थे। यह 32 वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम के कहने पर आये थे। 2010 मई में इनका परीक्षण किया गया था। बाथटब में दो बार स्नान करने पर भी कुछ नहीं हुआ। इस बीच हमने दुनियाभर में परीक्षण किए लेकिन हमारे आश्चर्य के लिए माताजी सुपरहीरो निकलीं। हैरानी की बात है कि वह अपने शरीर में जमा हुए सुबह और शाम के मूत्र को भी अवशोषित कर सकते थे। यह एक बड़ी पहेली है। माताजी में शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति सब कुछ क्रम में थी। वे अपनी गुफा की सीढ़ियाँ चढ़ते थे।
चराडा गांव के मूल निवासी प्रह्लादभाई जानी चुनरीवाली माताजी के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्ध थे। चुंडीवाला माताजी का महत्व ऐसा था कि लोग उन्हें देखने के लिए दूर-दूर से आते थे। माताजी की पोशाक सफ़ेद दाढ़ी और नाक और लाल पोशाक के साथ थी। लोगों में ऐसी धारणा थी कि चुंडीवाला माताजी की पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।