मुंबई, 28 दिसम्बर (हि.स.) । महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने आरोप लगाया है कि राज्य की ठाकरे सरकार कर्जमाफी के नाम पर किसानों को फंसा रही है। वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का सम्मान करते हैं, लेकिन महाविकास आघाड़ी के घटकदल राकांपा और कांग्रेस ठाकरे को गुमराह कर रहे हैं।
पाटील ने पुणे में शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ठाकरे खेत में जाकर किसानों से मिल चुके हैं। किसानों की हालत मुख्यमंत्री से छिपी नहीं है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी के लिए जो अध्यादेश निकाला है उससे अधिकांश किसान वंचित रहेंगे। इससे पहले देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने डेढ़ लाख रुपये की कर्जमाफी दी थी, जो 2001 से 2016 तक की अवधि के लिए था।
स्वाभिमानी शेतकरी (किसान) संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने बताया कि राज्य का हर किसान इस समय परेशान है। इसलिए उन्हें भरोसा था कि राज्य सरकार किसानों का सारा कर्ज माफ करेगी, लेकिन सरकार ने सिर्फ एक अप्रैल 2015 से लेकर 30 सितम्बर 2019 तक किसानों के दो लाख रुपये कर्ज माफ करने का निर्णय लिया है। इस हिसाब से यह कर्जमाफी सिर्फ 7-8 हजार करोड़ रुपये तक हो सकती है, जबकि सरकार 21 हजार करोड़ रुपये की कर्जमाफी का दावा कर रही है। शेट्टी ने किसानों को संपूर्ण कर्जमाफी की मांग की है।
किसान नेता अजीत नवले ने कहा कि इस कर्जमाफी का लाभ सूबे के अधिकांश किसानों को नहीं हो सकेगा।
राजस्व मंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को दो लाख रुपये का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया है। यह काम पिछली सरकार को करना चाहिए था, लेकिन वह लोग यह काम नहीं कर सके, इसीलिए उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा। अब विपक्ष में बैठने के बाद सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।
वित्तमंत्री जयंत पाटील ने बताया कि कर्जधारक किसानों की संख्या और कर्ज की रकम की जानकारी बैंकों से मांगी गयी है। इस पर सरकार अतिशीघ्र निर्णय लेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने किसानों को दो लाख रुपये तक कर्जमाफी दिए जाने के लिए अध्यादेश जारी किया है। इसका लाभ सरकारी कर्मचारी, विधायक, नगरसेवक, सांसद को नहीं मिलेगा। इसी प्रकार जिसे 25 हजार से अधिक पेंशन मिलती है, उसे भी कर्जमाफी का लाभ नहीं मिलेगा। अध्यादेश में सिर्फ राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्ज को ही माफ किये जाने का उल्लेख है।