नई दिल्ली, 20 दिसम्बर (हि.स.)। चीनी घुसपैठ की एक और कोशिश में दो चीनी वाहन भारतीय सीमा पार करके लेह जिले के न्योमा ब्लॉक के चांगथांग क्षेत्र में घुस आये। इन वाहनों में सवार होकर आये एक दर्जन चीनी सीमा रक्षकों ने चीनी सीमा क्षेत्र के पशुओं को भारतीय क्षेत्र में चरने देने के लिए स्थानीय लोगों पर दबाव डाला। पहले स्थानीय लोगों ने विरोध किया और फिर आईटीबीपी को सूचना दी गई। काफी देर तक चले विवाद के बाद आईटीबीपी के जवान मौके पर पहुंचे और उन्हें वाहनों समेत भारतीय सीमा से दूर खदेड़ा।
भारतीय सीमा क्षेत्र में पड़ने वाला डेमचोक के पास का इलाका काफी बड़ा मैदानी क्षेत्र हैं जहां लेह-लद्दाख के निवासी अपने मवेशी चराते हैं। सीमा क्षेत्र होने के नाते कभी-कभी चीनी चरवाहों के मवेशी भी भारतीय क्षेत्र में आ जाते हैं जिन्हें तलाशने के चक्कर में वे भी सीमा पार कर जाते हैं। इसी चक्कर में भारतीय सेना ने 19 अक्टूबर को सुबह लद्दाख के डेमचोक इलाके के पास एक चीनी सैनिक को पकड़ा था जो एक चरवाहे का याक ढूंढने में मदद करते हुए रात को भारतीय सीमा में आ गया था। सेना ने उसे दूसरे दिन चुशूल-मोल्दो मीटिंग प्वॉइंट पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अधिकारियों को सौंप दिया था। सीमा पर बाड़बंदी न होने से इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं और इन्हें स्थानीय स्तर पर निपटा लिया जाता है।
इसी तरह की घटनाओं के बीच चीनी सीमा बलों के दो वाहन आज अवैध रूप से लेह जिले के न्योमा ब्लॉक के चांगथांग क्षेत्र में घुस आये। यह चीनी कर्मी अपने साथ कैम्पिंग के लिए आवश्यक सामग्री ले जा रहे थे। जब स्थानीय लोगों ने भारतीय सीमा में दो चीनी वाहनों को देखा तो वे उनके पास पहुंचे। दोनों वाहनों में तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा चीनी सीमा रक्षक सवार थे। स्थानीय लोगों के विरोध करने पर यह लोग उनसे झगड़ा करने पर आमादा हो गए। इनका कहना था कि उन क्षेत्र के पशुओं को भी भारतीय क्षेत्र में चरने दिया जाए लेकिन स्थानीय लोगों ने विरोध किया। झगड़ा करने के लिए आमादा होने पर स्थानीय लोगों ने आईटीबीपी को सूचना दे दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि वाहनों में सवार होकर आये लोग आम नागरिक की तरह दिखते थे लेकिन इस बात की आशंका है कि उनमें कुछ चीनी सैनिक भी थे।
लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के न्योमा पार्षद इशी स्पालजंग का कहना है कि लगभग तीन साल से स्थानीय खानाबदोश अपने पशुओं को विभिन्न कारणों से चरने के लिए काकजंग क्षेत्र में नहीं ले जा रहे हैं लेकिन इस साल कुछ स्थानीय खानाबदोशों ने वहां तम्बू लगा लिए थे। सीमा के पास एक तम्बू लगाए जाने के बाद सीमा पार के स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने वहां तैनात भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों को सूचना दी। आईटीबीपी के जवानों में मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों के साथ चीनी सीमा रक्षकों को पकड़ने की कोशिश की तो वे भागने लगे। इस पर आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें सीमा पार तक खदेड़ा तो वे अपने वाहनों के साथ भाग गए।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चुशुल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कोंचोक स्टैनज़िन ने कहा कि भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करना और इसे अपनी भूमि का दावा करना अब चीनी सेना का नियमित कार्य है। वे नियमित रूप से हमारे खानाबदोशों को परेशान करते हैं और डराते हैं। इसलिए वे अब अपने पशुओं को चराने के लिए सीमा के पास जाने से डरते हैं। इस प्रक्रिया में चीनियों ने हमारी जमीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। चीनी खानाबदोशों को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं और उन्हें सीमा पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है लेकिन हमारे अधिकारी स्थानीय खानाबदोशों का सहयोग नहीं कर रहे हैं।