नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी गतिरोध पर शनिवार को सैन्य कमांडरों के बीच पांच घंटे तक हुई वार्ता के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भले ही अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि ‘दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति को शांतिपूर्वक हल करने के लिए सहमत हुए हैं।’ इस विवाद को सुलझाने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर आगे भी बैठकें जारी रहेंगी। दूसरी तरफ चीन के रक्षा विशेषज्ञ भारत को सलाह दे रहे हैं कि चीनी क्षेत्र में किसी भी अवैध रक्षा सुविधा निर्माण को रोककर बुनियादी ईमानदारी दिखानी चाहिए और सीमा पर परेशानी पैदा करने से बचना चाहिए।
चीन के सरकारी साप्ताहिक अंग्रेजी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद इस मुद्दे पर शनिवार को चीनी विश्लेषकों के बीच रायशुमारी की। अखबार ने इस खबर का शीर्षक दिया है- चीन-भारत सीमा बैठक में तनाव कम होने की उम्मीद, ‘नीचे की रेखा’ पर भारत से कोई समझौता नहीं। रायशुमारी में चीनी विश्लेषकों ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय पक्ष को सीमा पर भड़काऊ कृत्यों को तुरंत बंद करना चाहिए और आम सीमा पर चीन की निचली रेखा के रुख का सम्मान करना चाहिए, अन्यथा गतिरोध वास्तव में हल नहीं होगा। उन्होंने यह भी आगाह किया कि भारतीय पक्ष की पश्चिमी मीडिया के सामने की जाने वाली बयानबाजी भी चीन के खिलाफ दबाव की रणनीति के रूप में काम कर सकती है, जिसका उद्देश्य शांतिपूर्ण समाधान के बहाने चीन के उचित प्रस्ताव को चुप कराना है।
एक रक्षा विश्लेषक सॉन्ग ने कहा कि दोनों पक्षों को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक क्षेत्रीय तनाव को हल करने के लिए एक साथ काम करने की उम्मीद है। शीर्ष सामरिक सेना कमांडर प्रासंगिक मुद्दों को उठाने और वार्ता में लिये गए फैसलों को लागू करने के लिए पर्याप्त हैं। हालांकि चीन-भारत सीमा को लेकर मौजूदा दौर के तनावों को देखते हुए दोनों देशों के किसी भी रक्षा प्रमुख या विदेशी मंत्रालयों के स्तर पर अधिकारियों के बीच बैठक की आवश्यकता हो सकती है। एक सैन्य विशेषज्ञ और टीवी कमेंटेटर और गीतकार झोंगपिंग ने कहा कि भारतीय सेना को सीमा पर किसी भी तरह का निर्माण गाल्वन घाटी क्षेत्र में रोकना चाहिए और सीमा पार करना बंद करना होगा। यही भारतीय पक्ष की मौलिक ईमानदारी है।
शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान के एक शोध सहयोगी हू झाइयोंग ने कहा कि सीमा पर चीन का रुख सुसंगत है जो मुसीबतों की शुरुआत नहीं करने और सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने के सिद्धांत का पालन करता है। हू ने कहा कि भारतीय पक्ष ने स्थिति को गलत समझा और कोविड-19 महामारी के बीच परेशानियां पैदा करने के लिए चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की। शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल के एक रिसर्च फेलो झाओ गानचेंग ने कहा कि सैन्य बैठक के बाद संभावना है कि भारत कड़ा रुख अपनाएगा, क्योंकि यह बैठक भारत में कोविड-19 और घरेलू कठिनाइयों से ध्यान हटाने का एक तरीका है। चीन को आगे बढ़ते तनाव के लिए तैयार रहना चाहिए।
चीनी पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि शनिवार की उच्च-स्तरीय बैठक के बाद दोनों देशों की सेना ‘कुछ हद तक’ ऑपरेशनों को बंद कर देगी लेकिन सीमा पर तनावपूर्ण खेल चल सकता है।