ताइवान कार्यालय विवाद, चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाया

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बीजिंग, 11 अगस्त (हि.स.)। चीन ने मंगलवार को लिथुआनिया में अपने राजदूत को वापस बुला लिया। उसने स्व-शासित ताइवान को अपने नाम से लिथुआनिया में कार्यालय खोलने की अनुमति देने के फैसले के बाद यह कदम उठाया है। इसके साथ ही उसने बीजिंग में बाल्टिक के शीर्ष प्रतिनिधि को भी निष्कासित कर दिया।

चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। हालांकि द्वीप के व्यापार कार्यालयों के माध्यम से अमेरिका और जापान सहित कई अहम देशों के साथ ताइवान के औपचारिक संबंध हैं। ये कार्यालय वस्तुत: दूतावास की तरह ही काम करते हैं। वैसे चीन के दबाव के कारण ताइवान का केवल 15 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध रह गये हैं।

ताइवान और लिथुआनिया ने पिछले महीने सहमति व्यक्त की थी कि राजधानी विल्नियस में इस कार्यालय का नाम चीनी नाम ताइपे के बजाय ताइवान होगा। इसी बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने लिथुआनिया से तुरंत अपनी गलती सुधारने के लिए कहा है। साथ ही दोबारा गलत राह नहीं अख्तियार करने की हिदायत दी। राजनयिक दबाव को तेज करने के साथ-साथ चीन ने ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने की धमकियां भी तेज कर दी हैं। द्वीप के चारों ओर लड़ाकू जेट और युद्धपोत भेज दिए हैं।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में यह भी कहा गया है कि अगर लिथुआनिया ने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे, हालांकि इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। बयान में कहा गया है, हम ताइवान के अधिकारियों को चेतावनी देना चाहते हैं कि ताइवान स्वतंत्रता की बात करना छोड़ दे। अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में उसके किसी भी अलगाववादी गतिविधि को नाकाम कर दिया जाएगा।


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