चीनी राष्ट्रपति ने युद्ध की तैयारी के लिए दिए संकेत

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लॉस एंजेल्स 27 मई (हिस): अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिन फ़िंग ने मंगलवार को अपनी सेनाओं को युद्ध की तैयारी के निर्देश दिए हैं। शी जिन पिंग ने सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की वार्षिक उच्च स्तरीय बैठक में कहा  कि   पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों  व्यापक प्रशिक्षण के लिए बंदोबस्त किए जाएँ। उन्होंने  कहा कि  सब से ख़राब  स्थिति की कल्पना की करते हुए विचार करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास अत्यंत ज़रूरी है। इस संबंध में उन्होंने जहाँ हांगकांग में नए क़ानून से लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों  पर शिकंजा कसने की बात की, वहीं ताइवान के विरुद्ध ज़रूरत पड़ने पर बल प्रयोग के संकेत दिए।

 बता दें, अमेरिका-चीन के बीच शीत युद्ध अपने चरम पर है। एक ओर चीन ‘वुहान वायरस’ से चौतरफ़ा घिर गया है, तो दूसरी ओर उसकी महत्वकाक्षाओं ने अनर्राष्ट्रीय संकट बढ़ा दिया है। चीनी नौसेना की आक्रामक गतिविधियों से दक्षिण चीन सागर में निकटवर्ती देशों- वियतनान, फ़िलिपींस और मलेशिया आतंकित हो रहे हैं, तो अन्तर्राष्ट्रीय जल मार्ग से पौने चार खरब डालर प्रतिवर्ष के व्यापार करने वाले देशों में अमेरिकी मित्र देशों में दक्षिण कोरिया, जापान और आस्ट्रेलियाई कमर्शियल पोत भी सकते में हैं। सन 1997 में ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग की मुक्ति के पश्चात चीन ने अगले 50 वर्षों तक एक ग्लोबल स्वायतशासी देश के रूप में  इसे अंगीकार किया था। पिछली गर्मियों में हांगकांग के लाखों युवाओं ने चीनी दामन चक्र के ख़िलाफ़ मोर्चा लिया था, लेकिन एकाएक अब क्या हुआ।

  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, उपराष्ट्रपति माइक पेंस और विदेश मंत्री ने पहले कारोबारी जंग, फिर कोविड-१९ और अब हांगकांग की स्वायतत्ता पर चीनी आतंक के ख़िलाफ़ दो टूक शब्दों में आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने को ले कर हल्ला बोल दिया है। अमेरिकी निवेशक पल्ला झाड़ रहे है, कारोबारी जंग से आम जनता के घरेलू ख़र्चे में मामूली इज़ाफ़ा हुआ है, राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद हुआ है, अमेरिकी मतदाता के दिलो दिमाग़ में अगली 03 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के प्रति सोच में बदलाव आ रहा है। ट्रम्प अपनी दूसरी पारी को यों ही गँवाना नहीं चाहते।

अमेरिकी मीडिया की माने तो अब शी जिन पिंग के सामने कारोबारी जंग का रंग फीका पड़ चुका है, उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं रह गई है कि अमेरिकी नेतृत्व में जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और आसियान देश के साथ-साथ दक्षिण एशिया में भारत सहित कौन कौन देश साथ छोड़ कर जा रहे हैं।


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