लॉस एंजेल्स 24 जुलाई (हि.स.) ह्युस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास पर तालाबंदी के विरोध में चीन में शी जिनपिंग प्रशासन ने शुक्रवार की सुबह चेंगड़ू में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास बंद किए जाने के आदेश जारी कर दिए। टेक्सास में ह्युस्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास को ‘ख़ूफ़िया अड्डा’ बताने और उसे शुक्रवार की सायं चार बजे तक ख़ाली किए जाने के आदेश के बाद अमेरिकी मीडिया में यह शंका ज़ाहिर की जा रही है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा सत्ता में आते हैं तो दुनिया की दो बड़ी आर्थिक महाशक्तियों के बीच पाँच दशक पुराने रिश्ते यू टर्न ले सकते हैं। ह्युस्टन के बाद एफ बी आई ने कैलिफ़ोर्निया में सैन फ़्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास को अब निशाने पर लिया है। मीडिया में चर्चा है कि ट्रम्प प्रशासन अब चीनी नागरिकों पर भरोसा करने की बजाय संदेह की निगाह से देखने को विवश हैं।
सूत्रों के अनुसार सैन फ़्रांसिस्को स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास में एक शोध छात्रा को लेकर आशंका जताई गई है कि वह एक चीनी सैन्यकर्मी है। वह अमेरिकी बौद्धिक सम्पदा और मेडिकल रिकार्ड आदि की चोरी में संलिप्त बताई जाती है। इस युवा शोध छात्रा का नाम तांग ज़ुआन बताया जाता है।उ से पिछले वर्ष यूनिवर्सिटी आफ कैलिफ़ोर्निया (डेविस) में एक शोध छात्रा के रूप में एफ -1 अस्थाई वीज़ा दिया गया था। एफ बी आई ने अपनी जाँच में पाया है कि इस छात्रा को इंटरनेट पर एक सैन्यकर्मी की वर्दी में देखा गया है। गत 20 जून को इस युवती से पूछताछ भी की है। उस पर न्यायिक विभाग और एफ बी आई की ओर से अदालत में वीज़ा में धोखाधड़ी का एक मामला भी चल रहा है। इसकी जानकारी भी अदालत को दी गई है।
अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि चीनी नागरिक अमेरिकी बौद्धिक सम्पदा और सरकारी डाटा की चोरी करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्तगुस ने एक टी वी इंटरव्यू में कहा है कि चीनी नेशनल की ओर से बौद्धिक संपदा की चोरी का क्रम नया नहीं है, यह पिछले अनेक वर्षों से चलता आ रहा है। ऐसी स्थिति में अब चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।