नई दिल्ली, 02 दिसम्बर (हि.स.)। अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा आयोग (यूएससीसी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्टों में कहा है कि कुछ साक्ष्यों से साबित होता है कि चीन की सरकार ने गलवान घाटी की घटना की साजिश रची थी, जिसमें संभावित रूप से जानलेवा हमले की आशंका भी शामिल थी। रिपोर्ट में अमेरिकी कांग्रेस को बताया गया है कि 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष से कुछ हफ्ते पहले चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ तनाव बढ़ाने के संकेत दिए थे।
यूएस-चाइना आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत और चीन के बीच 1975 के बाद पहली बार 15 जून को टकराव हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिकों की जान चली गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसीपी अपने सशस्त्र बलों को शांति के दौरान एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में नियुक्त करके ताइवान और दक्षिण चीन सागर में बड़े पैमाने पर धमकी अभ्यास करता है। 15 और 16 जून की रात को भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकड़ियों ने एक हाथों-हाथ हिंसक संघर्ष किया था, जिसमें एक कमांडिंग ऑफिसर सहित 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे। पीएलए को भी हताहतों की संख्या का सामना करना पड़ा था। हालांकि चीन ने हताहतों की संख्या नहीं बताई है लेकिन भारतीय और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने 35 और 40 के बीच अनुमान लगाया है।
चीन और अमेरिका के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापार के मुद्दों की जांच करने के लिए 2000 में अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा आयोग (यूएससीसी) का गठन किया गया था। यह आयोग चीन के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को विधायी और प्रशासनिक कार्रवाई के लिए सिफारिशें भी प्रदान करता है। हालांकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि चीन किस वजह से भारत के खिलाफ आक्रामक हुआ है लेकिन इसमें कहा गया है कि टकराव का सबसे बड़ा कारण भारत द्वारा बॉर्डर एरिया में बनाई जा रही सड़कें हैं, जिससे उसे रणनीतिक बढ़त हासिल होती है। रिपोर्ट में चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स का भी जिक्र किया गया है, जिसके जरिए चीनी रक्षा मंत्री ने बयान दिया था कि अगर भारत चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध में आता है तो वह एक ‘विनाशकारी झटका’ झेलेगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन खुद वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ व्यापक बुनियादी ढांचे के निर्माण में लगा हुआ है। भारत के विरोध करने के बावजूद चीन ने गलवान घाटी पर अपना नया दावा करके यहां पर भेजे गए सैनिकों को हटाने से इनकार कर दिया, इसलिए दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग ने अपने पड़ोसियों के खिलाफ बहुराष्ट्रीय जबर्दस्ती अभियान चलाया, जिसमें जापान से लेकर भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सैन्य या अर्धसैनिक बल के जवानों को उकसाया गया। रिपोर्ट में पाकिस्तान के बारे में भी कहा गया है कि चीनी सेनाओं ने ‘पाकिस्तान में सुरक्षित और संभावित नौसैनिक आधार सुविधा’ हासिल की है।