बीजिंग/ सिंगापुर, 03 जून (हि.स.)। तीस साल पहले थ्येनआनमन चौक पर लोकतंत्र की मांग करने हजारों छात्रों को मौत के घाट उतारने वाला चीन अब इस नरसंहार का हर एक सबूत मिटाने में जुटा हुआ है। यह खुलासा एक रिपोर्ट से हुआ है।
विदित हो कि टोरंटो यूनिवर्सिटी और हांगकांग यूनिवर्सिटी ने इसी साल एक सर्वे के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अब तक इस घटना के बारे में जानकारी देने वाले 3,200 से अधिक स्रोतों को या तो मिटा दिया या सेंसर कर के वैसा करा दिया जैसा वह चाहता है।
इस घटना से संबंधित ब्रिटिश दस्तावेजों के मुताबिक, चीन में सरेआम खेली गई इस खून की होली में कम से कम दस हजार लोग मारे गए थे, लेकिन चीन हमेशा दावा करता रहा है कि वहां एक भी शख्स की जान नहीं गई थी। हालांकि इस घटना के तीस साल बाद भी चीनी प्रशासन वहां देशी और विदेशी मीडिया को जाने नहीं देता है।
विदित हो कि साल 1989 में दो जून से चार जून तक चीन में लोकतंत्र की मांग चरम पर थी। ऐसा लग रहा था जैसे यहां लोकतंत्र की स्थापना हो जाएगी और कम्युनिस्ट शासन का अंत हो जाएगा। इस आन्दोलन में मुख्य भूमिका छात्र निभा रहे थे। इन लोगों ने थ्येन आनमन चौक पर लोकतंत्र की मूर्ति भी स्थापित कर दी थी। इस बीच चीनी शासक माओत्से तुंग ने आन्दोलनकारियों को भगा कर जगह खाली कराने का आदेश दिया था। इसके बाद सेना ने पहले गोलियां बरसाईं और बाद में छात्रों को टैंक से रौंद दिया।
इस बीच सिंगापुर में आयोजित सांगरिला डायलॉग में रविवार को चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे ने कहा कि थ्येन आनमन चौक पर आन्दोलन के खिलाफ की गई कार्रवाई जायज थी और यह एक सही निर्णय था।