चीन का बचाव करने वाली पत्रिका लैंसेट ने भी कहा- कोरोना की उत्पत्ति की पारदर्शी जांच हो
लंदन, 20 सितंबर (हि.स.)। कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन की भूमिका हमेशा से संदेह के घेरे में है। अब तक यही माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान के वायरोलॉजी लैब से लीक होकर दुनिया भर के लोगों को संक्रमित कर रहा है। जिसकी जानकारी चीन ने शुरू में दुनिया भर से छिपाई थी। हालांकि साइंस मैगजीन लैंसेट ने तथ्य एवं दावे को सिरे से खारिज इसे बेबुनियाद बताया था। तब उस पर चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगा था। लेकिन डेढ़ साल बाद अब लैंसेट पत्रिका ने अपने पहले के बयान से यू-टर्न लेते हुए वायरस की उत्पत्ति के मामले में पादर्शी जांच की वकालत की है। यह काम लैंसेट ने 16 अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों के ओपन लेटर छापने के बाद किया है।
पत्रिका के ताजा बयान के अनुसार हम इस वायरस के फैलने के पीछे षड्यंत्र की बात का खंडन करते हैं। हालांकि इस वायरस की प्राकृतिक उत्पत्ति का सीधा प्रमाण नहीं मिला है और प्रयोगशाला से इसके लीक होने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान स्थित वायरोलाजी लैब में बना और वहीं से लीक होने के दावे पर लैंसेट ने फरवरी, 2020 में एक ओपन लेटर प्रकाशित कर लैब लीक की इस थ्योरी को सिरे से खारिज कर दिया था। इसमें विज्ञानियों के हवाले से दावा किया गया था कि वायरस के प्राकृतिक होने पर कोई संदेह नहीं है।
विज्ञान पत्रिका के उस ओपन लेटर से चीन को बहुत मदद मिली थी। हालांकि बाद में पता चला कि उस ओपन लेटर के पीछे मुख्य भूमिका निभाने वाले ब्रिटिश विज्ञानी पीटर डैसजैक असल में अमेरिका कीगैर लाभकारी संस्था इकोहेल्थ अलायंस के प्रेसिडेंट हैं, जिसका चीन से सीधा संबंध है। इस संस्था ने वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में रिसर्च की फंडिंग भी की थी। पीटर डैसजैक का यह सच सामने आने के बाद से उस ओपन लेटर के लिए लैंसेट को बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।