किताबी ज्ञान के साथ पोषण वाटिका में जैविक खेती भी सीख रहे हैं बच्चे

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बिहार के 11 हजार 657 स्कूलों में लगाई गई है पोषण वाटिका, 21वें स्थान पर है बेगूसराय



बेगूसराय, 28 नवम्बर (हि.स.)। बच्चों को जैविक खेती और पोषण से जोड़ने के लिए शिक्षा विभाग, कृषि, स्वास्थ्य, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय आदि के साथ मिलकर अंकुरण प्रोजेक्ट से स्कूलों में शुरू किए गए अभियान के तहत बेगूसराय के 231 विद्यालयों में पोषण वाटिका कार्यक्रम शुरू हो गया है।

पोषण वाटिका में बच्चों ने लाल साग, पालक, भिंडी, कद्दू, करेला, बैगन, झींगा, साग, वीन्स, पालक, बोरा, खीरा, गाजर, मूली और केला आदि लगाया गया है। बच्चों की इच्छा के अनुसार विद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए बीज और पौधों के रोपण के बाद बच्चों ने क्लास से बचे समय में खूब मेहनत किया और स्वास्थ्य के अनुकूल बगैर रासायनिक खाद, कीटनाशक का प्रयोग किए तैयार फसल ने तो बच्चों का उत्साह दोगुना कर दिया। बगैर खाद के सब्जी खाकर बच्चे खुश हैं। इससे उन्हें पोषण युक्त हरी और ताजा सब्जियां खाने को मिलेंगी, जो एनिमिया और कुपोषण को खत्म करेगी।
आंकड़ों के आधार पर पोषण वाटिका लगाने में बेगूसराय 21वें स्थान पर है। यहां 1488 स्कूल में से 446 स्कूलों में पोषण वाटिका लगाना है, जिसमें से 231 स्कूल में लगाई जा चुकी हैं। बिहार राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति द्वारा जारी डाटा के अनुसार अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, शेखपुरा, अरवल, औरंगाबाद, वैशाली और सीतामढ़ी में यह लक्ष्य शत प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले सुपौल के 99, कैमुर के 98, जमुई के 95, सारण के 90, नवादा के 87, जहानाबाद के 86, किशनगंज के 78, भागलपुर के 75, लखीसराय के 75, रोहतास के 74, खगड़िया के 71 तथा बेगूसराय केेे 52 प्रतिशत स्कूलों में पोषण वाटिका लगाई गई है। वहीं, तय लक्ष्य के मुकाबले पटना के 41, बांका के 36, समस्तीपुर के 32, गोपालगंज के 32, मधुबनी के 28, पश्चिम चंपारण के 28, मुंगेर के 25, दरभंगा के 24, कटिहार के 24, शिवहर के 20, भोजपुर के 18, मुजफ्फरपुर के 18, पूर्वी चंपारण के 17, नालंदा के 16, गया के 14, सिवान के 14 तथा बक्सर के आठ प्रतिशत स्कूलों में ही पोषण वाटिका लगाई गई है।
यह प्रोजेक्ट पूर्णिया में 2016 में प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया था। वहां मिली शानदार सफलता को देखते हुए इसे पूरे राज्य में लागू करने का फैसला लिया गया है। पोषण वाटिका में उगाई गई सब्जियों को मिड-डे मील में शामिल कर बच्चों में पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि बच्चों को पोषण युक्त आहार देने के साथ ही उन्हें स्वास्थ्य और जैविक खेती के प्रति जागरूक किया जाए। केन्द्र सरकार के नीति आयोग द्वारा बेगूसराय को आकांक्षी जिला घोषित करने के बाद शिक्षा एवं बच्चों के समग्र संवर्धन करने में लगे पिरामल फाउंडेशन के डिस्ट्रिक लीड रॉबिन राजहंस ने बताया कि गांधी फेलोज द्वारा शिक्षकों एवं बच्चों को पोषण वाटिका लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जैविक तरीके से तैयार सब्जी से जहां स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा वहीं शिक्षा के साथ-साथ बागवानी के रहस्य से भी बच्चे रूबरू होंगे तो प्रेरणा भी मिलेगी।

 


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