चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी, हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल करने की मांग

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चीफ जस्टिस ने अपने पत्र में हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए संविधान संशोधन करने की मांग की है। चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की वर्तमान स्वीकृत संख्या 31 से बढ़ाकर 37 करने की मांग की है।



नई दिल्ली। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने और हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाने की मांग की है। चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित मामलों के निपटारे के लिए दो संविधान संशोधन करें।

चीफ जस्टिस ने अपने पत्र में हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए संविधान संशोधन करने की मांग की है। चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की वर्तमान स्वीकृत संख्या 31 से बढ़ाकर 37 करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में 58 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं और नए मामलों के दायर होने से इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। चीफ जस्टिस ने अपने पत्र में लंबित मामलों का जिक्र करते हुए कहा है कि 26 केस 25 साल से, 100 केस 20 साल से, 593 केस 15 साल से और 4977 केस पिछले 10 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
2008 के बाद सुप्रीम कोर्ट में ऐसा पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या के बराबर जज हैं। 2008 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 26 थी। 2008 में संविधान संशोधन के जरिए ये संख्या 31 की गई थी। उसके पहले 1998 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की स्वीकृत संख्या 18 से बढ़ाकर 26 की गई थी।
चीफ जस्टिस ने पत्र में कहा है कि 24 हाई कोर्ट में 43 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह हाई कोर्ट में जजों की संख्या में कमी है। उन्होंने लिखा है कि हाई कोर्ट में जजों के 399 पद खाली हैं। इन खाली पदों पर तत्काल नियुक्ति करने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट उम्र 62 साल से बढ़ाकर 65 साल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि जब ट्रिब्युनल्स में रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति हो रही है तो उन्हें हाई कोर्ट में बरकरार रखा जा सकता है।

 


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