पर्यटन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की बड़ी उपलब्धि,मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान
छत्तीसगढ़ को बड़ी उपलब्धि हासिल होने जा रही है. पर्यटन के क्षेत्र उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य को राष्ट्रीय सम्मान दिया जाएगा. सत्ताईस सितंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित विश्व पर्यटन दिवस समारोह में ये सम्मान प्रदान किया जाएगा. भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित द बेस्ट टूरिज्म विलेज कम्पटिशन 2024 के तहत बस्तर जिले के ढूढमारस और चित्रकोट गांवों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा.
पर्यटन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की ये उपलब्धि अनायास ही नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निरंतर प्रयासों का ये परिणाम है. अब मुख्यमंत्री साय छत्तीसगढ़ के पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिशों में जुटे हैं. इसके लिए उन्होने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है. प्रदेश में इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म पर राज्य सरकार का विशेष फ़ोकस है.
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने कि लिए राज्य में स्थित पांच शक्तिपीठ परिसरों और आसपास के इलाकों में विकास कार्य तेजी से चल रहा है. ये शक्तिपीठ हैं, सूरजपुर का कुदरगढ़, चंद्रपुर का चंद्रहासिनी मंदिर, रतनपुर का महामाया मंदिर, डोंगरगढ़ का बम्लेश्वरी मंदिर और दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर.
राज्य सरकार ने धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए ग्रांट बढ़ाने का निर्णय भी लिया है.बस्तर दशहरा का आयोजन इस बार विशेष रूप से भव्य और विशाल होगा. यह पर्व न केवल स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगा.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि हमारा उद्देश्य छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना है, जहाँ पर्यटकों को हमारे वन्य जीवन, जनजातीय धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव हो. इसलिए राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में वेलनेस टूरिज्म, कृषि पर्यटन, और एडवेंचर टूरिज्म को बढावा दिया जा रहा है. इसके अलावा मनोरंजन पार्कों और सांस्कृतिक केंद्रों के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है.
अमृत काल विजन डॉक्यूमेंट 2024 के तहत छत्तीसगढ़ को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए व्यापक कार्य किया जा रहा है, जहाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ उपलब्ध होंगी.
दरअसल मुख्यमंत्री साय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का मानना है कि पर्यटन भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक प्रभावी साधन है. उनका मानना है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थायी और समावेशी पर्यटन का विकास किया जाए तो देश की अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा.
सम्मान के लिए चुने गए छत्तीसगढ़ के ये दोनों गांव , ढूढमारस और चित्रकोट इसके उदाहरण हैं.
ये दोनों गांव राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं. चित्रकोट का प्रसिद्ध जलप्रपात, जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है, पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय आकर्षण है. वहीं ढूढमारस गांव अपने एडवेंचर टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ पर्यटक रोमांचक गतिविधियों का अनुभव कर सकते हैं.
इन दोनों गांवों का सम्मानित होना राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक विशेष उपलब्धि है। यह न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं की पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के पर्यावरणीय पर्यटन को भी नया आयाम देगा.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के जनता, अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को बधाई दी. उन्होंने कहा, यह पुरस्कार हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय संपदा की विजय है. हमारा लक्ष्य पर्यटन को राज्य की समृद्धि और विकास का प्रमुख साधन बनाना है.