कोरोना संकटकाल में कहीं नहीं दिख रहे आहार योजना के स्टाल

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नई दिल्ली, 10 जून (हि.स.)। कोरोना संकटकाल में दिल्ली में नेता, अभिनेता और पुलिस से लेकर तमाम समाजसेवी संगठन और आम लोग भूखे गरीब मजदूरों के लिए भोजन वितरित करते हुए दिखाई दिए। लेकिन दिल्ली में गरीबों के लिए सस्ता और पौष्टिक भोजन प्रदान कराने के नाम पर शुरू की गयी आहार योजना से जुड़े स्टाल कहीं दिखाई नहीं दे रहे। दिल्ली में इनके स्टाल धूल फांक रहे हैं और उन पर ताले लटके हुए हैं।
दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने साल 2010 में जन आहार योजना शुरू की थी। इसके तहत कुछ एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं को मोबाइल वैन के जरिए बेहद कम दामों में आम लोगों को खाना मुहैया कराने का जिम्मा सौंपा गया था। इस स्कीम के तहत एक थाली का रेट 15 रुपये था। बाद में जब आम आदमी पार्टी सरकार बनी तो अरविंद केजरीवाल ने इस स्कीम पर सवाल उठाते हुए इसमें भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए थे और मोहल्ला क्लीनिक की तरह ही आम आदमी कैंटीन चलाने की बात कही थी। कोरोना संकट के समय में गरीबों को भोजन वितरण करने में इनकी अहम भूमिका हो सकती थी, लेकिन पूरे कोरोना संकटकाल में ना तो आम आदमी की कैंटीन कही दिखाई दी, ना ही आहार योजना की।
दिल्ली के नेहरू प्लेस में कभी जनआहार स्टाल पर भोजन करने वाले 28 वर्षीय अरविंद ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि पहले यहां के जनाहार स्टाल पर 18 रुपये में थाली मिल जाती थी। यहां के अधिकतर गरीब मजदूर नेहरू प्लेस जैसी महंगी जगह पर सस्ते में ही पेट भर लिया करते थे, लेकिन अब ये काफी दिनों से बंद पड़े हैं। क्या उन्होंने कभी किसी आम आदमी कैंटीन पर भोजन किया है? इस प्रश्न पर उन्होंने ऐसी किसी कैंटीन की जानकारी से इनकार कर दिया।

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