रायपुर, 26 नवम्बर (हि.स.) । छत्तीसगढ़ की विधानसभा में कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा के प्रश्न का जबाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जानकारी दी है कि वर्ष 2014 तक मीटिर शिफ्टिंग के मामले में कुल पांच करोड़ 64 लाख 42 हजार 513 हजार रुपये की अनियमितता पकड़ में आई है और अब तक 64 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय है की मुख्यमंत्री के पास ऊर्जा मंत्रालय का भी प्रभार है ।
कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने जानना चाहा था कि मीटर शिफ्टिंग और उच्च दरों पर बिजली खरीदी पर कितनी वित्तीय अनियमियतता हुई है और इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है। प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में मीटर शिफ्टिंग की प्रारंभिक जांच में आठ जिलों में ही पांच करोड़ 64 लाख 42 हजार 513 रुपये की अनियमितता संज्ञान में आई है। उन्होंने बताया कि ठेकेदारों ने फर्जी कार्यादेश और देयक प्रस्तुत कर भुगतान प्राप्त कर लिया था जिसके चलते अब तक 65 अधिकारियों और कर्मचारियों पर विभागीय जांच चल रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि जो कार्यादेश जारी किया गया, उसमें कई तरह की कमियां उजागर हुईं। इस वजह से 83 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी आरोप पत्र जारी किया गया है।
आरोपितों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई
उल्लेखनीय है कि भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उक्त मामले में सभी दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की बात कही थी। कुछ ठेकेदारों ने अदालत की शरण ली है। इस मामले में तुलसी नगर कोरबा के मेसर्स विधवानी इन्फ्राटेक, बिलासपुर सरकंडा के विजय कुमार अचवानी कटघोरा के पंकज केला, पाली के राघवेन्द्र जायसवाल, कटघोरा के संजय नायडू, अमित कुमार जायसवाल, जगदलपुर के सहारा दास, सुनील कड़से, पिंटू ठाकुर का नाम शामिल हैं। इन ठेकेदारों को महज काली सूची में डाला गया था। इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
अप्रैल 2012 से लेकर नवम्बर 2014 के बीच बिजली कंपनी ने ठेकेदारों को घरों और उद्योगों में कमरों के भीतर लगे मीटरों को उखाड़कर बाहर लगाने का वर्कऑर्डर दिया था। इसमें हर काम के लिए राशि तय की गई थी। मीटर बाहर लगाने, कनेक्शन करने और केबल लगाने के लिए एक कनेक्शन पर 405 रुपये खर्च करने थे। दो साल में करीब एक लाख कनेक्शन के लिए 4.05 करोड़ रुपये का भुगतान ठेकेदारों को किया गया। आरोप है कि कहीं कम केबल लगाकर रुपये बचाए गए और कहीं केबल ही नहीं लगाए गए। अधिकांश स्थानों पर केबल की राशि उपभोक्ताओं से ही वसूल की गई। मीटर बोर्ड भी नया लगाने के बजाय अंदर का ही उखाड़कर बाहर लगा दिया गया। इस मामले में जांच में जमकर लीपापोती करने की भी सूचना है ।