नई दिल्ली, 02 सितम्बर (हि.स.)। ‘चंदा मामा’ से मुलाकात को बेकरार चंद्रयान-2 ने रविवार को आखिरी मेन्युवर यानी प्रक्रिया को पूरा कर लिया। चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश करने के बाद सोमवार दोपहर को 1.15 बजे चंद्रयान-2 के मॉड्यूल से लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अलग हो गए।
इसरो के चेयरमैन के. सिवन के मुताबिक मॉड्यूल से दोनों लैंडर के अलग होने में करीब एक सेकंड का समय लगा। यह उतनी ही गति से हुआ जितनी गति से कोई सेटलाइट लॉन्च वीइकल से अलग होता है।एकीकृत अंतरिक्ष यान (इंटिग्रेटेड स्पेसक्राफ्ट) को अलग-अलग करने के लिए इसरो ने सिर्फ कमांड दिया और बाद में ऑनबोर्ड सिस्टम ने आगे की कार्यवाही खुद पूरी की। इस अलगाव की प्रक्रिया में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया जिसका पायलट लड़ाकू विमान में खराबी आने के बाद अपनी जान बचाने के विमान से बाहर होने के लिए करते हैं।
इसरो के एक वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑर्बिटर के ऊपर लगे फ्यूल के एक्सटेंशन में रखे गए लैंडर और रोवर एक स्प्रिंग के दो तरफ क्लैंप और बोल्ट से जुड़े हुए थे जिन्हें एक कमांड के जरिए अलग कर दिया गया है। इसके बाद से लैंडर विक्रम अपने भीतर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा। इसमें सबसे बड़ी चुनौती यान के आर्बिटर को भी नियंत्रित करने की होगी। यानी वैज्ञानिकों को एक साथ आर्बिटर और लैंडर विक्रम की सटीकता के लिए काम करते रहना होगा। चार सितम्बर के बाद अगले तीन दिनों तक लैंडर विक्रम चांद के सबसे नजदीकी कक्षा 35×97 में चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की जांच की जाती रहेगी। इस तरह 07 सितम्बर को तड़के 1:55 बजे लैंडर विक्रम चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा। इसके 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा जो चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। चन्द्रमा के हिसाब से यह एक दिन होगा क्योंकि एक लूनर डे पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर होता है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इस उपलब्धि के जरिये अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत का नाम भी चौथे देश के रूप में शामिल हो जाएगा। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान-2 ने लॉन्च होने के ठीक एक माह बाद पहली बार 22 अगस्त को चांद की खूबसूरत तस्वीर भेजी थी। इससे पहले चंद्रयान-2 ने पहली बार अपने एलआई4 कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भेजीं थीं जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 04 अगस्त को अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया था।