श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के रास्ता भटकने और विलंब से गंतव्य तक पहुंचने की खबरों को रेलवे ने किया खारिज
नई दिल्ली, 29 मई (हि.स.)। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों के रास्ता भटकने और निर्धारित समय से अधिक में सफर तय करने के आरोपों को खारिज करते हुए श्रमिकों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक से 28 मई तक रेलवे ने कुल 3,840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिनसे 52 लाख प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों तक पहुंचे हैं। अब तक चली कुल ट्रेनों में से महज 4 को ही गंतव्य तक पहुंचने में 72 घंटे (तीन दिन) से अधिक का समय लगा है।
यादव ने कहा कि 1 से 19 मई और 25 से 28 मई के दौरान कोई भी ट्रेन डायवर्ट नहीं की गई। वहीं 20-24 मई के दौरान से उत्तर प्रदेश और बिहार (90 प्रतिशत) में ट्रेनों की अधिक मांग के होने के कारण 71 ट्रेनों को डायवर्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि 20 मई को एक दिन में अधिकतम 279 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाई गई हैं।
उन्होंने कहा कि यह महामारी का समय है इसलिए इसकी तुलना सामान्य दिनों से नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि रेलवे ने सुबह 8 बजे से श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियों को चलाने का समय निर्धारित किया था लेकिन राज्यों द्वारा प्रवासियों की स्क्रीनिंग और अन्य जांच आदि में समय लगने के कारण स्टेशन पहुंचने में समय लगा जिसके अधिकांश रेलगाड़ियों को दोपहर 2 से रात्रि 12 बजे के बीच रवाना किया गया। इससे रेल मार्ग पर अधिक दबाव बढ़ा और रेलगाड़ियों को डायवर्ट करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ी को सूरत से सीवान तक पहुंचने में 9 दिन लग गए। यह समाचार सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो गया जिसके बाद विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है। यादव ने इसे फेक न्यूज बताते हुए कहा कि ट्रेन दो दिन में ही गंतव्य तक पहुंच गई थी। उन्होंने मीडिया से भी तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसी खबरों से दिन रात अपनी ड्यूटी कर रहे 12 लाख रेलवे कर्मचारियों का मनोबल टूटता है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने आश्वासन दिया कि गृह राज्य वापस जाने की इच्छा रखने वाले तमाम प्रवासियों को जब तक देश भर में उनके घरों तक नहीं पहुंचा दिया जाता श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां चलती रहेंगी। यादव ने कहा कि राज्यों की तरफ से मांग होने पर उसी दिन ट्रेनों का समय निर्धारित कर अगले दिन उसे रवाना कर दिया जाएगा।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की राज्यों की तरफ से धीरे-धीरे मांग कम हो रही है। आज विभिन्न राज्यों से केवल 492 ट्रेनों की मांग की गई है जबकि 24 मई को राज्यों की आवश्यकता 923 ट्रेनों की थी। उन्होंने कहा कि रेलवे प्रतिदिन लगभग 3 लाख प्रवासियों को श्रमिक ट्रेनों से घर पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा, सबसे अधिक 42.2 प्रतिशत रेलगाड़ियां उत्तर प्रदेश और 36.5 प्रतिशत बिहार के लिए रवाना की गई।
यादव ने गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों और 10 साल से छोटे बच्चों को अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह देते हुए बताया कि अब तक 30 से अधिक बच्चों का जन्म रेलगाड़ियों में यात्रा के दौरान हुआ है। भूख से यात्रियों की मौत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा जिन राज्यों से ट्रेनें खुल रही हैं वे प्रवासी श्रमिकों को भोजन दे रहे हैं। वहीं यात्रा के दौरान रेलवे और एनजीओ भोजन मुहैया करा रहे हैं। हालांकि शुरुआत में कांट्रेक्टर द्वारा ट्रेनों में खाना नहीं पहुंचाने के कारण कुछ असुविधा हुई थी लेकिन बाद में रेलकर्मियों ने व्यवस्था संभाल ली।