नई दिल्ली, 26 सितम्बर (हि.स.)। केन्द्र सरकार ने हाल ही में ड्रोन संचालन के लिए नियमों को लागू करने के बाद शनिवार को भारत का पहला हवाई क्षेत्र का नक्शा जारी कर दिया है जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। पूरे देश के हवाई क्षेत्र को तीन रंगों में बांटकर सैन्य ठिकानों को ड्रोन एयरस्पेस मैप के येलो जोन में रखा गया है। पीले रंग वाले इस जोन में भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के ठिकानों से 200 फीट से ऊपर ड्रोन उड़ाने की अनुमति दी गई है।
विभिन्न उद्योगों में लगातार बढ़ते उपयोग, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने और रोजगार पैदा करने की अपार क्षमता के कारण इस समय ड्रोन दुनिया भर में नई चर्चा का मुद्दा बना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘स्वामित्व’ योजना के तहत पूरे देश के हवाई मानचित्रण से लेकर भारत में ड्रोन का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। तेलंगाना के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘द मेडिसिन्स फ्रॉम द स्काई’ परियोजना के तहत दवाएं पहुंचाने के लिए ड्रोन को मंजूरी दी गई है। सरकार ने 15 जुलाई को नए ड्रोन कानूनों का मसौदा प्रकाशित किया था और इस पर लोगों की प्रतिक्रिया 5 अगस्त तक मांगी थी। इस मसौदे पर लोगों की मिली प्रतिक्रिया का अध्ययन करने के बाद बनाये गए नए ड्रोन नियमों की अधिसूचना 26 अगस्त को जारी की गई थी।
अब इसके बाद केंद्र सरकार ने आज भारत का पहला हवाई क्षेत्र का नक्शा जारी कर दिया है जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म https://digitalsky.dgca.gov.in/home पर उपलब्ध है। यह भारत के हवाई क्षेत्र का इंटरेक्टिव मानचित्र है जिसमें देश भर में ड्रोन के लिए हरे, पीले और लाल क्षेत्रों का सीमांकन किया गया है। अब से ग्रीन जोन में 500 किलोग्राम तक के वजन वाले ड्रोन 400 फीट या 120 मीटर की ऊंचाई तक उड़ाए जा सकेंगे जिसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
येलो जोन के एयरपोर्ट दायरे को 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर कर दिया गया है। सैन्य ठिकानों को ड्रोन एयरस्पेस मैप के येलो जोन में रखा गया है। इसलिए हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी. के बीच 200 फीट से ऊपर ही ड्रोन का संचालन किया जा सकेगा। रेड जोन में केवल केंद्र सरकार की अनुमति से ड्रोन संचालित किया जा सकता है।
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर 26/27 जून की रात को हुए ‘ड्रोन अटैक’ के बाद सरकार को ड्रोन पॉलिसी बनानी पड़ी है। देश में अपनी तरह के हुए इस हमले में चीन निर्मित जीपीएस गाइडेड ड्रोन का इस्तेमाल करके डेढ़-डेढ़ किलो के विस्फोटक गिराए गए थे। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी महज 14 किलोमीटर है। इस घटना के बाद जम्मू के कालूचक मिलिट्री स्टेशन के आसपास भी कई दिनों तक ड्रोन मंडराते देखे थे। पिछले एक साल के भीतर जम्मू सेक्टर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं हैं जिसमें कई प्रयासों को बीएसएफ ने नाकाम भी किया है। यही वजह है कि सैन्य ठिकानों को येलो जोन में रखकर 200 फीट से नीचे ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगाई गई है।