तीन संस्कृत शिक्षण संस्थानों को मिलेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति को संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालयों के रूप में बदलने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव वर्तमान में अंतर-मंत्रालीय परामर्श चरण में है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (हि.स.)। देश में चल रहे तीन संस्कृत संस्थानों का दर्जा बढ़ाकर उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित करने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। इसमें दिल्ली के दो और आंध्र प्रदेश का एक डीम्ड विश्वविद्यालय शामिल है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति को संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालयों के रूप में बदलने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव वर्तमान में अंतर-मंत्रालीय परामर्श चरण में है।
उल्लेखनीय है कि संस्कृत के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दे रही मोदी सरकार सरकार अपने पिछले कार्यकाल में संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबंधित यूनिवर्सिटी एक्ट को संसद से पास नहीं करा पाई थी। किसी भी शिक्षण संस्थान को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा के लिए संसद की अनुमति जरूरी है।
केंद्र सरकार ने जिन संस्थानों के संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए चुना है उनमें राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान की स्थापना 15 अक्टूबर, 1970 की गई थी। श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली की स्थापना 8 अक्टूबर 1962 में हुई थी। राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति की स्थापना 1961 में हुई थी। तीन शिक्षण संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है। अत: वर्तमान में इन्हें सरकार की तरफ से अनुदान तो प्राप्त है। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर इसे काफी हद तक स्वायत्ता के साथ ही यूजीसी से भी अनुदान मिलना शुरू हो जाएगा।