केन्द्र सरकार ने बिहार को उपलब्ध कराये 264 वेंटीलेटर

0

बेगूसराय, 25 जुलाई (हि.स.)। कोरोना संक्रमितों की बेहिसाब बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए केन्द्र और बिहार सरकार गंभीर है। लोगों को अस्पताल में बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, इसको लेकर नई-नई योजना बना रही है। बिहार के विभिन्न जिलों में संक्रमित मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है तथा बिहार को 264 वेंटीलेटर उपलब्ध कराये हैंं। ताकि  मेडिकल कॉलेजों समेत किसी भी जिले में वेंटीलेटर के अभाव में मरीज की मौत नहीं हो। राज्य के सभी अस्पतालों एवं मेडिकल काॅलेजों में पर्याप्त वेंटीलेटर लगाने का निर्णय लिया गया है तथा जिला अस्पतालों में कम से कम चार-चार वेंटीलेटर तैयार रखने का लक्ष्य पूरा किया जा रहा है। राज्य स्वास्थ समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने इसको लेकर पत्र जारी किया है। पत्र के मुताबिक भारत सरकार से प्राप्त 264 वेंटीलेटर को आवश्यकता के अनुसार राज्य के सभी अस्पतालों एवं मेडिकल काॅलेजों में वितरण कराने को कहा गया है। इसमें बेगूसराय को तीन वेंटीलेटेर मशीनों की आपूर्ति करनी है। जिले में पहले से एक वेंटीलेटेर मशीन मौजूद है तथा अब इसकी संख्या चार हो जाएगी।

बेगूसराय को भी मिलेंंगे तीन वेंटिलेटर-
केंद्र सरकार से प्राप्त वेंटिलेटर में से 27 एम्स पटना में लगाए जा चुके हैं।  दरभंगा मेडिकल कॉलेज में 28, भागलपुर में 17, मधेपुरा में 16, नालंदा में तीन तथा मुजफ्फरपुर, गया तथा बेतिया में 11-11 लगाए जाएंगे। जिला अस्पतालों में अररिया, अरवल, बांका, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, गया, जमुई, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधुबनी, नवादा, पटना, समस्तीपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल एवं वैशाली में चार-चार। बेगूसराय, जहानाबाद, कैमूर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा तथा शेखपुरा में तीन-तीन। सीवान, सारण, सहरसा, कटिहार तथा गोपालगंज में दो-दो एवं मधेपुरा में एक वेंटीलेटर लगाया जाएगा।
कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना से संक्रमित 80 प्रतिशत मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।फेफड़ों में पानी भर जाता है जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है, इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।
वेंटिलेटर है क्या-
यह मशीन ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालता है। इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिए फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं। मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज की सांस नली से जोड़ दिया जाता है, जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाती है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर खींचता और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है।  नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है तथा इसमें मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लागाया जाता है।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *