नई दिल्ली, 02 दिसम्बर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर निर्धारित करने का मामला 7 जजों की बेंच को भेजने की मांग की है। केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि इस मामले पर सात जजों की बेंच सुनवाई करे। उसके बाद चीफ जस्टिस एस ए बोब्डे ने कहा कि अटार्नी जनरल के सुझाव पर कोर्ट दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।
26 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2006 में नागराज मामले में आया सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सात सदस्यीय संविधान बेंच को रेफर करने की जरूरत नहीं है। यानि नागराज के फैसले के मुताबिक पदोन्नति में आरक्षण मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने नागराज फैसले में आंकड़ों के आधार पर आरक्षण देने के फैसले को पलटते हुए कहा था कि आंकड़े एकत्र करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आंकड़े एकत्र करने का फैसला इंदिरा साहनी केस के फैसले के उल्टा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किस पद पर पदोन्नति में आरक्षण देना है किसमें नहीं देना है इसका आधार सरकार तय करे । राज्य सरकारें पदोन्नति में आरक्षण देते समय यह देखें कि प्रशासनिक संचालन में उसका नकारात्मक असर तो नहीं पड़ रहा है। क्रीमी लेयर के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू किया जा सकता है क्योंकि नागराज के जजमेंट में क्रीमी लेयर की व्यवस्था को सही कहा है।