स्वदेशी हथियारों से जीतेंगे अगला युद्ध: सीडीएस

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सरकार ले रही है ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों के खरीद का निर्णय  घरेलू रक्षा उद्योग को सहयोग करें डीआरडीओ के वैज्ञानिक



नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (हि.स.)। सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत स्वदेशी रूप से विकसित हथियारों से भविष्य की लड़ाई जीतेगा। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए रावत ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने समर्पण और प्रतिबद्धताओं को जारी रखना चाहिए। 
 
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ रावत ने शुक्रवार को डीआरडीओ के पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि भविष्य में होने वाले युद्ध हम स्वदेशी हथियारों के माध्यम से जीतेंगे। मौजूदा समय में हमारा देश उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके बावजूद जिस तरह से हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण है। जनरल रावत ने यह भी कहा कि सरकार ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों की खरीद के लिए निर्णय ले रही है। उन्होंने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि इस बार हम देख रहे हैं कि हमारा निजी उद्योग भी प्रेरित है, उन्हें आपके समर्थन की आवश्यकता है।
 
उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने एक दिन पहले ही 28 हजार करोड़ रुपये के उपकरण खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। उनमें से 90 प्रतिशत हथियार और उपकरण भारत में बनाए जाएंगे। डीआरडीओ का इन सभी में महत्वपूर्ण योगदान होगा। जनरल रावत ने कहा कि मंजूर किये गए प्रस्तावों में भारतीय वायु सेना के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित एयरबोर्न प्रारंभिक चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली, भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों और भारतीय सेना के लिए मॉड्यूलर पुलों की खरीद शामिल है।
 
वायुसेना प्रमुख को  एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल का मॉडल सौंपा 
इसी समारोह में रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह ने वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया को एस्ट्रा एमके-1 बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) एयर टू एयर मिसाइल का एक मॉडल सौंपा। एस्ट्रा पहली स्वदेशी रूप से विकसित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। भारत अब स्वदेशी एस्ट्रा एमके1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल की क्षमता 100 किमी. से बढ़ाकर 160 किमी. करने पर कम कर रहा है। मई, 2022 तक दोहरे पल्स रॉकेट मोटर की सहायता से 160 किमी. की विस्तारित सीमा के साथ एस्ट्रा एमके-2 को विकसित किया जाना है। भारतीय वायुसेना और नौसेना पहले से एस्ट्रा मिसाइल का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन एस्ट्रा एमके1 मिसाइलों को सुखोई -30एमकेआई, एलसीए और मिग-29के से लॉन्च किया जा सकता है।
 
नौसेना प्रमुख को दी भारतीय समुद्री स्थिति जागरुकता प्रणाली 
रक्षा मंत्री ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह को भारतीय समुद्री स्थिति जागरुकता प्रणाली सौंपी।भारतीय नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (आईएमएसी) राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरुकता (एनएमडीए) केंद्र में तब्दील होगा। यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस सिस्टम का मुख्य केंद्र होगा, जो समुद्रों में जहाजों को ट्रैक करने के साथ ही तटीय राडार से डेटा प्राप्त करेगा। इससे पूरे हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना किसी भी जहाज को ट्रैक कर सकेगी। इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ) ने जहाज पर स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) के ऑनबोर्ड ऑपरेशनल यूज के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं।
 
सेना को सौंपी गई सीमा निगरानी प्रणाली 
रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को सीमा निगरानी प्रणाली (बीओएसएस) के हाथों में सौंप दी। डीआरडीओ के देहरादून स्थित इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट द्वारा विकसित इस प्रणाली के दो प्रोटोटाइप एक साल से अधिक समय तक ट्रायल के लिए लद्दाख में तैनात थे। इनमें अपेक्षित अपेक्षित संशोधनों और उन्नयन के बाद अब इसे सेना को सौंपा गया है। यह 10-12 किमी की दूरी पर हल्के वाहन और 8-10 किमी पर व्यक्तियों के समूह का पता लगा सकता है। इसे 30 से 55 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर संचालित किया जा सकता है। वास्तविक समय डेटा और वीडियो को 14 दिनों तक के लिए कमांड पोस्ट पर 20 किमी की दूरी पर प्रेषित किया जा सकता है।
 

 


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