सारदा मामले में आईपीएस अर्णव घोष से पूछताछ

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अरबो रुपये के चिटफंड घोटाला मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी अर्णव घोष से पूछताछ शुरू कर दी है। सुबह 10:30 बजे के करीब अर्णव घोष साल्टलेक के सीजीओ कंपलेक्स स्थित सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय में पहुंचे जहां उनसे पूछताछ की शुरुआत की गई है। 



कोलकाता, 29 मई (हि. स.)। अरबो रुपये के चिटफंड घोटाला मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी अर्णव घोष से पूछताछ शुरू कर दी है। सुबह 10:30 बजे के करीब अर्णव घोष साल्टलेक के सीजीओ कंपलेक्स स्थित सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय में पहुंचे जहां उनसे पूछताछ की शुरुआत की गई है।
 जांच एजेंसी के सूत्रों के हवाले से बताया है कि उनसे पूछताछ का वीडियो रिकॉर्ड भी किया जाएगा। अर्णव के साथ एक और आईपीएस अधिकारी दिलीप हाजरा को भी तलब किया गया था जो फिलहाल नहीं पहुंचे हैं। अर्णव और अन्य पुलिस अधिकारियों से पूछताछ कर सामने आए तथ्यों का इस्तेमाल राजीव कुमार की घेराबंदी के लिए किया जा सकता है। 2013 में सारदा मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने जिस विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, उसमें राजीव कुमार प्रमुख थे और अन्य सहयोगी अधिकारियों में अर्णव घोष और पुलिस इंस्पेक्टर  प्रभाकर नाथ भी शामिल थे। मंगलवार को प्रभाकर से करीब पांच घंटे तक सीबीआई की टीम ने  पूछताछ की थी। उनका बयान रिकॉर्ड किया गया है। उसके आधार पर इन दोनों अधिकारियों को भी समन भेजा गया था। इधर राजीव कुमार की तलाश में लगातार सीबीआई की टीम जुटी हुई है। सीबीआई ने मामले की प्राथमिक तौर पर जांच करने वाली राज्य सरकार की एसआईटी में शामिल चार पुलिस अधिकारियों को कई बार नोटिस भेजा है। वर्ष 2013 में सारदा प्रमुख सुदीप्त सेन की गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित की गई एसआईटी के मुखिया तत्कालीन पुलिस उपायुक्त राजीव कुमार ही थे। उनके साथ इस टीम में आईपीएस अर्णव घोष, दिलीप हाजरा, शंकर भट्टाचार्य, विनीत गोयल और प्रभाकर नाथ शामिल थे। इन्हें वर्ष 2018 में भी नवंबर दिसंबर और जनवरी महीने में चार बार नोटिस भेजा जा चुका है। इस बारे में बताया गया है वर्ष 2013 में इन लोगों ने सारदा प्रमुख को जम्मू-कश्मीर के सोनमार्ग में पुलिस के हाथ से अपने सुरक्षा घेरे में लिया था। इसके बाद उनके पास से कई सारे दस्तावेज बरामद हुए थे जिसमें एक लाल डायरी थी।‌ उसमें कथित तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया था कि सारदा प्रमुख ने किसे, कब, कितने रुपये दिए। लेकिन 2014 में जब कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच संभाली तब एसआईटी ने वह लाल डायरी नहीं दी। दावा है कि उसमें कई तृणमूल नेताओं और मंत्रियों का नाम था जिन्होंने सारदा समूह से पैसे लिए थे और उन्हीं को बचाने के लिए ऐसा किया गया। उस डायरी के बारे में जानकारी के लिए सीबीआई अधिकारी इन अधिकारियों से पूछताछ करना चाहते हैं लेकिन बार-बार नोटिस के बावजूद राज्य पुलिस के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

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