सीबीआई ने कहा है कि माल्या ने साक्ष्यों के साथ ही जांच पर सवाल उठाए थे। दरअसल, आईडीबीआई बैंक से 900 करोड़ रुपये के लोन में धोखाधड़ी, क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी और सरकारी कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज करने के मामले में विजय माल्या और अन्य के खिलाफ 24 जनवरी, 2017 को चार्जशीट दायर की गई थी। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने साल 2017 में ही 31 जनवरी को माल्या के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था।
विजय माल्या को ब्रिटिश पुलिस ने 20 अप्रैल, 2017 को गिरफ्तार किया था। बाद में उसे जमानत मिल गई। जबकि भारत में 10 दिसंबर, 2018 को वरिष्ठ जिला न्यायाधीश ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया। इस फैसले के खिलाफ माल्य ने ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में अपील की। लेकिन ब्रिटेन हाई कोर्ट ने 5 अप्रैल, 2019 को अपील खारिज कर दी। कुल मिलाकर अप्रैल 2017 से अब तक सीबीआई ने तीन साल तक विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए जटिल कानूनी लड़ाई लड़ी।
सीबीआई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व इस मामले के जांच अधिकारी सुमन कुमार एडल ने यूके सुप्रीम कोर्ट को मानवाधिकार के मानदंडों और प्रत्यर्पण की शर्तों के अनुपालन का भरोसा दिलाया और माल्या के तमाम पैंतरों के बावजूद यह प्रमाणित किया कि कानूनी प्रक्रिया का सामना करने के लिए माल्या को भारत लाया जाना क्यों आवश्यक है। आखिरकार सीबीआई को सफलता मिली। अब माल्या के प्रत्यर्पण की कार्रवाई 28 दिनों के अंदर पूरी की जाएगी।