सीबीआई की टू-जी घोटाला मामले की जल्द सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में याचिका

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हाईकोर्ट ने ए राजा समेत इस मामले के सभी आरोपितों को नोटिस जारी कर 30 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया



नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.)। सीबीआई ने टू-जी घोटाला मामले के आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ए राजा समेत इस मामले के सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी आरोपितों को 30 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि इस मामले का राष्ट्रीय महत्व है। इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है।
पिछले 26 मार्च को सीबीआई और ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कोई भी कार्यवाही करने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक आरोपित पौधारोपण अभियान पूरा नहीं कर लेते तब तक वो आगे की कार्यवाही नहीं करेगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई  24 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया था।
पिछले 7 फरवरी को कोर्ट ने पांच आरोपितों को तीन-तीन हजार पौधे लगाने का आदेश दिया था। जस्टिस नाजिम वजीरी ने जिन आरोपितों को पौधे लगाने का आदेश दिया था उनमें स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजीव अग्रवाल के अलावा तीन कंपनियों डीबी रियल्टी, डायनामिक्स रियल्टी और निहार कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि ये सभी पौधे देसी होंगे और उनका रखरखाव और देखभाल आगामी मानसून तक करना होगा।
6 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया था कि इस मामले के सभी आरोपितों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
इस मामले में सीबीआई ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 2 अगस्त 2018 को मामले की सुनवाई के दौरान एस्सार समूह के प्रमोटर्स रुईया बंधुओं ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन-देन हुआ है।

 


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