नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया को 60 करोड़ का चूना लगाने वाली मुम्बई की दो कंपनियों और उनके निदेशकों सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपितों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर क्रेडिट लिमिट हासिल की और बैंक को धोखा देकर रकम निकालते रहे। बुधवार को सीबीआई ने मुम्बई के इन सभी के घरों और दफ्तरों में एकसाथ छापे मारे और आगे की कार्रवाई तेज कर दी है।
सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ के अनुसार आरोपितों में मुम्बई की दो निजी कंपनी मेसर्स अव्यान ओवरसीज प्रा. लि., मेसर्स बागला ओवरसीज प्रा. लि., इनके निदेशक मोहित कंबोज, जितेन्द्र गुलशन कपूर, सिद्दांत बागला, इरतेश मिश्रा शामिल हैं। वर्ष 2013 में मेसर्स अव्यान ओवरसीज प्रा. लि. के निदेशकों ने बैंक ऑफ इंडिया, मिड कॉर्पोरेट ब्रांच, फोर्ट, मुम्बई से 60 करोड़ रुपये की क्रेडिट लिमिट प्राप्त की। इसके लिए इन सभी आरोपितों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए। उसके बाद जब क्रेडिट लिमिट मिल गई तो इन लोगों ने वर्ष 2013 से 2018 के बीच 57.26 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों में डायवर्ट कर दिया।
बैंक को संदेह हुआ तो उसने मेसर्स अव्यान ओवरसीज प्रा. लि. के संबंधितों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। तब पता चला कि आरोपित बीएलके एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड, अक्ष गोल्ड ओर्नामेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, निकभि गोल्ड ज्वैलरी प्राइवेट लिमिटेड और मिश्का गोल्ड ज्वेलरी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से फर्जी बिल तैयार कर के बैंक को लगातार चूना लगा रहे हैं। पुख्ता सबूत हाथ लगते ही बैंक ने सीबीआई को कागजात सौंप दिए।
सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर पड़ताल शुरू की तो मालूम हुआ कि फर्जी कागजातों के जरिए आरोपित बिल तैयार करते हैं। कंपनी गोदाम में जो माल दिखा रही है, उसकी किसी तरह की बिलिंग नहीं हो रही है। कारोबार के लिए कंपनी ने जो लिए थे, उन पैसों से कंपनी के डायरेक्टर ने परिवार के नाम फ्लैट ले लिए हैं और कुछ दूसरी कंपनियों के खाते में भी रुपये डायवर्ट कर दिए।
सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ ने बताया कि बुधवार को इसी मामले में सीबीआई ने मुम्बई में पांच स्थानों पर निजी कंपनी सहित आरोपितों के आवासीय और आधिकारिक परिसरों में छापे मारे। तलाशी में संपत्ति, ऋण, विभिन्न बैंकों की पासबुक, खाता विवरण और लॉकर कीज़ सहित कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। आगे की कार्रवाई की जा रही है।