तपती धूप में छत्तीसगढ़ के लिये पैदल ही चल पड़ा प्रवासी मजदूरों का कारवां

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पानी पीकर मजदूरों ने सत्तर किमी तक सफर किया पूरागर्मी के कारण पसीने से तरबतर मजदूरों के पांव में पड़े छाले



हमीरपुर, 09 मई (हि.स.)। लॉकडाउन में फंसे पचास दिहाड़ी मजदूर परिवार समेत शनिवार को छत्तीसगढ़ के लिये पैदल यात्रा पर निकल पड़े हैं। तपती धूप में मजदूरों के पांव में छाले पड़ गए। सिर पर गृहस्थी का बोझ ऊपर से तीन बच्चों को लेकर पैदल चल रहे इन मजदूरों को देख यहां आम लोगों की आंखें भी भर आयी। पिछले चौबीस घंटे से भूखे ये प्रवासी पानी पीकर पैदल चल रहे है।
छत्तीसगढ़ के रहने वाले इमरान, जैनू ने कानपुर के आदर्श नगर में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते है। इनके साथ छत्तीसगढ़ के ही पांच सौ मजदूर भी परिवार समेत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरा देश लाक डाउन हो जाने के बाद सैकड़ों मजदूरों को खाने के लाले पड़ गये। जो पैसा भी मजदूरी कर एकत्र किया था वह भी धीरे—धीरे खत्म हो गया। इसीलिये प्रवासी मजदूरों ने अपने घर वापसी के लिये आज पैदल ही कानपुर से निकल पड़े।
 इमरान ने बताया कि मां मुन्नी और चाचा पिता समेत बारह लोगों का परिवार है। लांक डाउन के कारण पिछले कई दिनों से भूखे रहना पड़ रहा है। खाने के नाम पर चार पूड़ी और सब्जी ही कभी कभार मिलती थी जिससे पेट भी नहीं भरता है। इसीलिये घर वापसी के लिये सभी लोगों का पैदल निकलना पड़ा है। इमरान ने बताया कि कानपुर से आज तड़के साढ़े तीन बजे सभी लोग सड़क मार्ग से पैदल निकले है। सत्तर किमी तक पैदल यात्रा पानी पीकर की जा रही है।
 प्रवासी मजदूरों में तीन छोटे-छोटे बच्चे भी है। सिर पर गृहस्थी और ऊपर से तीन बच्चों को गोद में लेकर चल रहे इन मजदूरों के पांव पर छाले भी पड़ गये है। इमरान बताया कि सुमेरपुर पहुंचने पर थकान दूर करने के लिये पेड़ के छांव के नीचे रुके तो कुछ लोगों ने सभी को खाने के लिये पैकेट दिया है। उसका कहना है कि छत्तीसगढ़ पहुंचने में अभी कम से कम दस दिन लग जायेंगे। क्योंकि यहां से छत्तीसगढ़ करीब 800 किमी दूर है।
अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी नहीं मिली मदद
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि कानपुर में थाने में कई बार मदद के लिये गुहार लगायी है कि छत्तीसगढ़ जाने के लिये कोई साधन मिल जाये ताकि सभी लोग सुरक्षित पहुंच जाये मगर कोई मदद नहीं मिली। इमरान ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य से पांच सौ लोग कानपुर में दिहाड़ी मजदूरी करने आये थे जो सभी लाँक डाउन में फंसे है और घर जाने के लिये परेशान है। अब सभी लोग वहां से छत्तीसगढ़ जाने के लिये पैदल ही निकलेंगे।

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