कोरोना काल में गंगासागर मेला आयोजन पर हाईकोर्ट ने चिंता जताई
कोलकाता, 07 जनवरी (हि.स.)। गंगासागर मेले से कोरोना संक्रमण के बढ़ने की संभावना को लेकर हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि संक्रमण को रोकने के लिए राज्य वास्तव में क्या कर सकता है? कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इस संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
हलफनामे में डॉक्टर की सलाह का भी उल्लेख किया जाना है। 4 जनवरी को अजय दे नाम के एक व्यक्ति ने गंगासागर मेले के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने गंगासागर मेला को नो एंट्री क्षेत्र के रूप में घोषित कर भीड़ नियंत्रण के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई।
न्यायालय ने कहा, “मानव जीवन पहले आता है, फिर आस्था। हम निवारक स्वास्थ्य उपायों के बारे में चिंतित हैं। कोरोना वायरस सांसों से फैलता है। जब कई लोग एक साथ स्नान करते हैं, तो नाक और मुंह से बूंदें आसानी से पानी में घुल जाएंगी। और इसके परिणामस्वरूप, कई लोग एक ही समय में संक्रमित होंगे। इसके अलावा, यह हवा में वायरस को फैला सकता है। परिणामस्वरूप, जो लोग उत्सव में भाग लेते हैं, उनके संक्रमित होने की अधिक संभावना होगी।
उल्लेखनीय है कि केरल उच्च न्यायालय ने एक दिन में 5,000 तीर्थयात्रियों को सबरीमाला मेले में जाने की अनुमति दी थी। लेकिन वहां मंदिर अधिकारियों ने कोरोना की नकारात्मक रिपोर्ट को अनिवार्य बना दिया। इसी तर्ज पर राज्य को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया है। अदालत हलफनामा प्रस्तुत करने के बाद ही अंतिम निर्णय ले सकती है।