करेंसी नोटों से कोरोना फैलने पर सरकार ने साधी चुप्‍पी, कैट उठाया सवाल

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नई दिल्‍ली, 19 सितम्‍बर (हि.स.)। करेंसी नोटों से कोरोना का संक्रमण फैलने की जानकारी मांगने पर सरकार ने चुप्‍पी साध ली है। यह बात कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को कही है ।

कारोबारियों के  संगठन कैट ने कहा कि 8 मार्च, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.  हर्षवर्धन को  15 मार्च , 2020 को  पत्र भेजकर औॅर  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव को भी पत्र भेजकर उनसे  पूछा था कि क्या कोरोना वायरस करेंसी नोटों के जरिए फैलता है। इसके बारे में छह महीने बीत जाने के बाद भी इतने महत्वपूर्ण सवाल का कोई जवाब नहीं मिला है।

कैट का कहना है कि न केवल देश के करोड़ों व्यापारियों, बल्कि देश की आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा कोरोना संक्रमण का ये मामला है, जिसकी प्रासंगिकता बहुत बढ़ गई है। इस बात का जवाब किसी ने देना उचित नहीं समझा । इसी बीच कई बार केंद्रीय  स्वास्थ्य मंत्री और आईसीएमआर को याद दिलाया गया लेकिन आज तक उत्‍तर इंतजार है । कैट महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि इस दृष्टि से कोरोना काल में करेंसी नोटों का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना ज़रूरी है। ऐसे अहम मसले पर  सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है।

गौरतलब है कि देश में अनेक जगहों और विश्‍व केअनेक देशों में इस विषय पर अनेक शोध और अध्ययन रिपोर्ट में ये बात साबित हुआ है की करेंसी नोटों से  संक्रमण  तेजी से फैलता हैं। नोटों की सतह सूखी होने की वजह से भी प्रकार का वायरस एवं बैकटेरिया लम्बे वक्‍त तक रहता है। चूंकि करेंसी नोटों का लेन-देन बड़े पैमाने व मात्रा में अनेक अनजान लोगों के बीच होता है। ऐसे में मौजूदा वक्‍त में कौन व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है, ये पता नहीं चलता और इस कारण से करेंसी नोटों द्वारा संक्रमण जल्दी होने की आशंका रहती है । दरअसल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्‍लाइट साइन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा एंड बायो साइयन्स,  इंटरनेशनल जर्नल ऑफ  एडवॉन्स रिसर्च आदि ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि करेंसी नोटों के जरिए संक्रमण फैलता है।

 


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