रक्षाबंधन पर चीन को 4 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचाने की तैयारी में व्‍यापारी

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नई दिल्‍ली, 14 जुलाई (हि.स.)। कारोबारियों के शीर्ष संगठन कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस साल रक्षाबंधन के त्यौहार को देशभर में ‘हिंदुस्तानी राखी’ के तौर पर मनाने की घोषणा की है। कैट ने दावा किया कि इससे चीन को 4 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान होगा। इसके साथ ही कैट सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों के लिए 5 हजार राखियां भी भेजेगा। कैट के राष्‍ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस साल 3 अगस्त को देशभर में रक्षाबंधन के त्यौहार को ‘हिन्दुस्तानी राखी त्यौहार’ के रूप में मनाने का फैसला किया गया है।

रक्षामंत्री को 5 हजार राखियां सौपेंगा कैट
खंडेलवाल ने कहा कि इस बार रक्षाबंधन पर चीन में बनी राखी और राखी से जुड़े किसी सामान का इस्‍तेमाल नहीं किया जाएगा। वहीं, देश की सीमाओं की रक्षा में लगे सैनिकों का उत्‍साह बढ़ाने के लिए कंफेडरेशन की महिला शाखा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को 5 हजार राखियां देंगी, जिसे वह हमारे जवानों तक पहुंचा सकें। इसके अलावा देश के हर शहर के सेना अस्पतालों में भर्ती सैनिकों को अस्पतालों में जाकर और विभिन्‍न शहरों में लोगों की रक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को भी कंफेडरेशन की महिला सदस्य राखी बांधेंगी।

जुड़े हैं 40 हजार से ज्‍यादा कारोबारी संगठन
कैट का दावा है कि देशभर में 40 हजार से ज्‍यादा व्यापारी और कारोबारी संगठन और उनके 7 करोड़ सदस्य उससे जुड़े हुए हैं। बता दें कि चीनी वस्‍तुओं का बहिष्कार करने के लिए कैट ने देशभर में ‘भारतीय सामान, हमारा अभिमान’ अभियान चलाया है। कन्‍फेडरेशन ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक हर साल करीब 6 हजार करोड़ रुपये का राखियों का कारोबार होता है, जिसमें से अकेले चीन की हिस्सेदारी करीब 4 हजार करोड़ रुपये होती है।

देश के प्रमुख शहरों में बन रही हैं राखियां
प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कैट ने अपने स्टेट चैप्टर से आग्रह किया है कि वो अपने राज्य के शहरों में कच्ची बस्तियों में काम करने वाले लोग, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी में काम करने वाली महिलाएं, छोटे कारीगर तथा अन्य लोगों से राखियां बनवाएं और उन्हें बाजारों में बेचने के लिए इन सभी वर्गों के लोगों की सहायता करें। कैट ने इस पहल को अंजाम देते हुए दिल्ली, नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर, जम्मू आदि शहरों में राखियां बनवाने का काम शुरू कर दिया है।

 


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