पटना, 11 जनवरी (हि.स.)। मकर संक्रांति के साथ खरमास का महीना खत्म होने वाला है, लेकिन बिहार में अबतक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई सुगबुगाहट दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने बड़ा बयान दिया है। जिससे यह भी साफ हो गया है कि अब नीतीश कैबिनेट में 50 : 50 का फार्मूला नहीं चलेगा। लगातार चर्चा हो रही थी कि जदयू कैबिनेट में 50 : 50 का फार्मूला चाहती है लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो खुलासा किया है, उसके बाद साफ हो गया है कि भाजपा को कैबिनेट में जदयू से ज्यादा हिस्सेदारी मिलने वाली है।
राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद सोमवार को पार्टी के बड़े नेताओं के साथ प्रेसवार्ता करते हुए आरसीपी सिंह ने संगठन से जुड़े फैसलों की जानकारी दी। इसी दौरान कैबिनेट विस्तार को लेकर जब सवाल किया गया तो आरसीपी सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार में कैबिनेट के अंदर तस्वीर क्या होगी, यह पहले ही तय हो चुकी है। 16 नवम्बर को जब शपथ ग्रहण हुआ था, उसी वक्त कुल 15 मंत्रियों के बीच विभाग बंट गए थे और किसके पास कितने विभाग हैं, यह बताने को काफी है कि मंत्रिमंडल में किसकी ताकत कितनी होगी।
आरसीपी सिंह के इस बयान के बाद अगर कैबिनेट में मंत्रियों को मिले विभागों की संख्या देखी जाए तो जदयू के पास कुल 20 विभाग हैं जबकि भाजपा कोटे के मंत्रियों के पास विभागों की कुल संख्या 21 है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास कुल पांच विभाग हैं। सामान्य प्रशासन, मंत्रिमंडल सचिवालय, सामान्य प्रशासन, निगरानी और निर्वाचन जैसे विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं। जबकि डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के पास वित्त, वाणिज्य, कर, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, सूचना प्रावैधिकी, आपदा प्रबंधन और नगर विकास एवं आवास विभाग का जिम्मा है। डिप्टी सीएम रेणु देवी के पास पंचायती राज, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण और उद्योग विभाग का जिम्मा है।
नीतीश कैबिनेट में मुख्यमंत्री के साथ कुल 15 मंत्रियों ने शपथ ली थी लेकिन जदयू कोटे से मंत्री बने मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था। इस वक्त मंत्रिमंडल में जदयू के पांच मंत्री हैं जबकि भाजपा के दो डिप्टी सीएम समेत सात चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हैं। वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी और हम कोटे से संतोष कुमार सुमन भी मंत्री बनाए गए हैं। आरसीपी सिंह ने जिस तरह विभागों की संख्या के आधार पर मंत्रियों की संख्या की बात कही है, उसके अनुसार भाजपा कोटे के मंत्रियों की संख्या जदयू कोटे के मंत्रियों से ज्यादा होने वाली है।