सीएए हिंसा: योगी सरकार ने पोस्टर हटाने पर हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

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गुरुवार को सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी



लखनऊ, 11 मार्च (हि.स.)। राजधानी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वालों के पोस्टर हटाने संबंधित इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। प्रदेश सरकार ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर गुरुवार को सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
दरअसल बीते वर्ष 19 दिसम्बर को लखनऊ में सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन के मामले में प्रशासन ने थाना हसनगंज, हजरतगंज, ठाकुरगंज और कैसरबाग क्षेत्र से उपद्रवी व्यक्तिों को चिह्नित किया। इनमें 57 उपद्रवियों से 1.55 करोड़ की वसूली की जानी है। प्रशासन ने दावा किया कि सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के आधार पर ये कार्यवाही प्रारम्भ की गई। सभी चिह्नित व्यक्तियों को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया। इसके बाद तीनों अपर जिलाधिकारी न्यायालय से उपद्रवियों को चिह्नित करते हुए जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए नियमानुसार आदेश जारी किए गए।
इसमें अपर जिलाधिकारी (ट्रांसगोमती) की कोर्ट ने थाना हसनगंज क्षेत्र में पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 20 नोटिस जारी करते हुए 13 लोगों को आरोपित बनाया है। इनसे 21,76,000 रुपये की क्षतिपूर्ति की जानी है।अपर जिलाधिकारी (पश्चिम) की कोर्ट ने थाना ठाकुरगंज क्षेत्र को लेकर 14 नोटिस जारी करते हुए 10 लोगों को आरोपित बनाया है। इनसे 67,73900 रुपये की क्षतिपूर्ति की जानी है। वहीं केसरबाग क्षेत्र में पुलिस रिपोर्ट के आधार पर 15 नोटिस जारी करते हुए 06 लोगों को आरोपित बनाया है। इनसे 1,75,000 रुपये की क्षतिपूर्ति की जानी है। इसके अलावा अपर जिलाधिकारी (पूर्वी) की अदालत ने हजरतगंज क्षेत्र में 46 नोटिस जारी करते हुए 28 लोगों को आरोपित करार दिया है। इनसे 64,37,637 रुपये की क्षतिपूर्ति की जानी है।
इन लोगों के नाम, पते और तस्वीरे जाहिर करते हुए होर्डिंग्स लगाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जतायी। कोर्ट ने बीते दिनों अपने आदेश में कहा कि बिना कानूनी उपबंध के हिंसा में हुए नुकसान की वसूली के लिए लखनऊ में कथित आरोपितों का सड़कों पर होर्डिंग्स व फोटो लगाना अवैध है। कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार द्वारा इस तरह के होर्डिंग्स लगाना लोगों की निजता में दखल और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि 16 मार्च तक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास इस आदेश के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट जमा की जाए। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से भी कहा गया कि सरकार इस निर्देश का अध्ययन करा रही है। प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में जो कुछ करना चाहिए वह किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने भी कहा कि अदालत के आदेश को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था दंगाइयों के पोस्टर हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की जरूरत है। सिर्फ उनके पोस्टर हटेंगे, उनके खिलाफ लगी धाराएं नहीं। दंगाइयों की पहचान उजागर करने की लड़ाई हम आगे तक लड़ेंगे। योगी राज में दंगाइयों से नरमी असम्भव है। तभी से चर्चा थी कि होली के बाद इस पर फैसला किया जाएगा। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने से ये स्पष्ट भी हो गया है।

 


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