एनआरसी व सीएए : उप्र में जुमे पर शांति, प्रशासन ने ली राहत की सांस

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एनआरसी और सीएए को लेकर लोगों को समझाने के लिए मोर्चा संभाल चुके राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठन भी अपने अभियान में सफल होते दिख रहे हैं।



लखनऊ, 28 दिसम्बर (हि.स.)। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए उपद्रव के बाद पुलिस के लिए सर्वाधिक चैलेंज जुमा पर शांति बनाए रखने की थी। जुमे पर रात भी शांतिपूर्वक गुजरने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है। अब प्रशासन को पूरी उम्मीद है कि इस मामले पर कोई बवाल नहीं होगा। हालांकि इस मुद्दे को सुलगाते रहने की कोशिश में जुटा विपक्ष मायूस दिखा। एनआरसी और सीएए को लेकर लोगों को समझाने के लिए मोर्चा संभाल चुके राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठन भी अपने अभियान में सफल होते दिख रहे हैं।
उधर, शुक्रवार को सुबह से लेकर रात भर प्रशासन और पुलिस महकमा अलर्ट पर रहा। हर समय पुलिस अधिकारी फोन करते रहे लेकिन रात भर मामला शांत रहा तो प्रशासन ने भी अब राहत की सांस ली है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अब लोग इस कानून की हकीकत समझ चुके हैं। इस कारण अब आगे उपद्रव होने की आशंका कम हो गई है।
मुस्लिम बस्तियों में भी बढ़ी जागरूकता
इस मुद्दे को लेकर अब लोगों का भ्रम दूर होता दिख रहा है। मुस्लिम बस्तियों में भी लोग यह कहने लगे हैं कि यह एक भ्रम मात्र है। इससे भारतीय मुसलमानों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अभी तक इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों में शामिल रहने वाले गाजीपुर के इबरार, फिरोज,  लखनऊ के सुलेमान और साजिद, प्रयागराज के अखलाक व अजमल, लखीमपुर के अज्जाम, अतहर ने बताया कि इस मुद्दे पर भ्रम फैलाया गया। पहले ऐसा लगा कि सरकार हमें खदेड़ने की तैयारी कर रही है। इस कारण विरोध के लिए शांति पूर्ण प्रदर्शन में शामिल हो गये लेकिन इस मुद्दे पर पूरी मंशा जानने के बाद लगा कि यह तो हमारे लिए फायदेमंद ही है।
उकसाने का परिणाम रहा उपद्रव
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कुछ संगठनों द्वारा उकसाये जाने के कारण ही उपद्रव हो गया। जब लोग समझ गये तो शांति हो गयी। अब प्रदेश में शांति ही बने रहने की उम्मीद है। उनका कहना है कि पुलिस की सक्रियता बढ़ते ही उपद्रव का बढ़ाने के लिए जिम्मेदार या तो भाग गये या अंडर ग्राउंड हो गये।
498 को वसूली के लिए भेजा गया नोटिस
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते दिनों प्रदेश के कई जिलों में हुई हिंसा और तोड़फोड़ में अब तक 327 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। डीजीपी मुख्यालय के अनुसार इन मुकदमों में नामजद 1113 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस दौरान मरने वालों की संख्या 19 बताई गई है।  पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि 288 पुलिसकर्मी इस दौरान हुई हिंसा में घायल हुए हैं, जिसमें से 61 पुलिस कर्मियों को अवैध असलहों से चली गोलियां लगी हैं। संभल में हिंसा के दौरान एक दरोगा की पिस्टल छीने जाने की भी रिपोर्ट दर्ज की गई है। हिंसा में जो नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति के लिए पूरे प्रदेश में अब तक 498 प्रदर्शनकारियों को वसूली का नोटिस जारी किया जा चुका है।

 


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