चिदंबरम ने माना कि कांग्रेस के शासन में बने थे विदेशियों के लिए हिरासत केंद्र
तिरुवनंतपुरम, 28 दिसम्बर (हि.स.) । वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने स्वीकार किया है कि मनमोहन सरकार के कार्यकाल में असम में विदेशी नागरिकों के लिए हिरासत केंद्रों की स्थापना की गयी थी लेकिन ऐसा “विदेशी नागरिक कानून” के तहत किया गया था। उन्होंने कहा कि आज असम एक दूसरे तरह की कार्रवाई हो रही है जो राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) पर आधारित है।
चिदंबरम ने शनिवार को यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि असम उच्च न्यायालय ने विदेशियों के लिए हिरासत केंद्रों की स्थापना का निर्देश दिया था तथा केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को इसके लिए धनराशि उपलब्ध करायी थी। उन्होंने सफाई दी कि इन केंद्रों की स्थापना विदेशी नागरिक कानून के तहत की गयी थी तथा यह बहुत सीमित पैमाने पर थी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया था तथा इसका कांग्रेस सरकार से कोई लेना देना नहीं था।
उन्होंने कहा कि आज असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के आधार पर 19 लाख लोगों के लिए बड़े पैमाने पर हिरासत केंद्र बनाये गए हैं। इस पर बहुत धनराशि खर्च होने वाली है। यह बिलकुल अलग तरह की कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में हिरासत केंद्रों की स्थापना के लिए न्यायालय से कोई निर्देश नहीं दिया गया है बल्कि यह एनआरसी के तहत किया जा रहा है।
चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ कांग्रेस की ओर से आयोजित रैली को सम्बोधित करते हुए नागरिकता कानून को स्थगित और एनआरसी प्रक्रिया को रद्द किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन मांगों के समर्थन में अपना अभियान जारी रखेगी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार के फैसले संविधान विरोधी हैं तथा न्यायालय में इन्हें खारिज कर दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मुसलामानों के साथ भेदभाव कर रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संविधान को बदल कर देश में हिन्दू राष्ट्र कायम करना चाहती है जिसमें सनातन धर्म और मनु स्मृति का बोलबाला होगा।