वित्त वर्ष 2022 में कृषि ऋण बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य
नई दिल्ली, 01 फरवरी (हि.स.)। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट वर्ष 2021-22 पेश करते हुए वित्त वर्ष 2022 में कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कृषि क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए कुछ और कदम उठाते हुए आकांक्षी भारत के समावेशी विकास के तहत कृषि क्षेत्र के लिए 9 उपायों की घोषणा की।
स्वामित्व योजना
वित्तमंत्री ने सोमवार को लोकसभा नें केंद्रीय बजट पेश करते हुए सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के लिए स्वामित्व योजना के विस्तार का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के शुरू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांवों में सम्पत्ति के स्वामित्व में पारदर्शिता लाने के लिए स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। योजना के अंतर्गत गांवों में सम्पत्ति के मालिकों को अधिकारों का रिकॉर्ड दिया जाता है। अब तक 1,241 गांवों में करीब 1.80 लाख सम्पत्ति मालिकों को कार्ड प्रदान किए गए हैं।
वित्त वर्ष 2022 में कृषि ऋण बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य
सीतारमण ने किसानों को पर्याप्त ऋण प्रदान करने के लिए, वित्त वर्ष 2022 में कृषि ऋण बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार पशु पालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए ऋण प्रवाह बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करेगी।
ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी
वित्त मंत्री ने ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष के लिए आवंटन 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये करने की घोषणा की।
सूक्ष्म सिंचाई कोष दोगुना किया गया
वित्तमंत्री ने नाबार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ शुरू किए गए, सूक्ष्म सिंचाई कोष को 5,000 करोड़ रुपये और बढ़ाकर इसे दोगुना करने का प्रस्ताव किया।
ऑपरेशन ग्रीन योजना- खराब होने वाले 22 और उत्पाद ‘टॉप्स’ में शामिल होंगे
सीतारमण ने कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य वर्धन और उनके निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ का दायरा बढ़ाकर 22 खराब होने वाले उत्पादों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव किया जो वर्तमान में टमाटर, प्याज और आलू (टॉप्स) पर लागू है।
1,000 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि करीब 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हैं और ई-नाम के माध्यम से 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हो रहा है। ई-नाम द्वारा कृषि बाजार में स्थापित पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री ने पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा कायम करने के लिए 1,000 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ने का प्रस्ताव रखा।
एपीएमसी को कृषि बुनियादी ढांचा कोष तक पहुंच प्रदान की जाएगी
वित्त मंत्री ने एपीएमसी की बुनियादी ढांचा सुविधाओं में वृद्धि के लिए उसे कृषि बुनियादी ढांचा कोष उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा।
मछली पकड़ने के 5 प्रमुख केन्द्रों में और निवेश प्रस्तावित
सीतारमण ने मछली पकड़ने और मछली उतारने वाले केन्द्रों के विकास में पर्याप्त निवेश का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री ने कहा कि मछली पकड़ने के 5 प्रमुख केन्द्रों – कोच्चि, चेन्नई, विशाखापतनम, पारादीप, और पेटुआघाट- को आर्थिक गतिविधि केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। सीतारमण ने अपने जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के केन्द्रों तथा नदी के तटों और जलक्षेत्रों में मछली उतारने के केन्द्र विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा।
तमिलनाडु में बहुउद्देश्यीय समुद्री घास पार्क स्थापित किया जाएगा
निर्मला सीतारमण ने समुद्री घास की खेती में संभावना को पहचानते हुए कहा कि यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें तटवर्ती समुदायों के लोगों का जीवन बदलने की संभावना है। यह बड़े पैमाने पर रोजगार और अतिरिक्त आमदनी प्रदान करेगा। समुद्री घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए सीतारमण ने तमिलनाडु में एक बहुउद्देश्यीय समुद्री घास पार्क विकसित करने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने पिछले कई वर्षों में किसानों के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि किसानों से गेहूं, चावल, दालें खरीदने की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि मूल्य सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जबरदस्त बदलाव से गुजरा है, जो सभी जिंसों के लिए उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना है।
केंद्रीय वित्तमंत्री ने खरीद और पिछले कुछ वर्षों में किसानों को किए गए भुगतान का विवरण देते हुए कहा कि गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में यह 62,802 करोड़ रुपये था और 2020-21 में और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। गेहूं पैदा करने वाले लाभान्वित किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.46 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी।
उन्होंने कहा कि धान के लिए 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 172,752 करोड़ रुपये हो गई। लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या जो 2019-20 में 1.24 करोड़ थी, 2020-21 में 1.54 करोड़ पर पहुंच गई। इसी तरह दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई। इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है। 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से अधिक वृद्धि है। सीतारमण ने कहा कि कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई । यह 2013-14 में 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये (27 जनवरी 2021) पर पहुंच गई।