नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पांच जुलाई को पेश करेगी। आमतौर पर बजट पेश करने के दौरान संसद में वित्त मंत्री कुछ खास शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। बिजनेस और इकोनॉमी से जुड़े होने की वजह से इन शब्दों का मतलबल भी खास होता है।
देश की पहली और पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार आम बजट पेश करने जा रही हैं। बजट पेश करने के दौरान वो भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करेंगी।
आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे)
वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करने से एक दिन पहले लोक सभा में वित्त वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हैं। इसे एक तरह से सरकार का मिनी बजट भी कहा जाता है।
आम बजट (यूनियन बजट)
केंद्रीय बजट पूरे देश के लिए होता है। इसमें केंद्र सरकार आने वाले नए वित्त वर्ष का लेखा जोखा पेश करती है। सरकार संसद को ये बताती है कि आने वाले एक साल में वह किस काम के लिए कितना पैस खर्च करेगी। इसके साथ ही वह ये भी बताती है कि एक साल की अवधि के दौरान कहां-कहां से आमदनी होगी।
अंतरिम बजट
आमतौर पर ये बजट कुछ समय के लिए होता है। सत्तारूढ़ सरकार इसे चुनाव वाले साल में पेश करती है। आम चुनाव के बाद आई नई सरकार बचे हुए साल का बजट पेश करती है।
सेंट्रल प्लान आउटले
यह शब्द बजटीय योजना का वह हिस्सा होता है, जिसके तहत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के लिए राशि (संसाधनों) का बंटवारा किया जाता है।
डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर)
डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो जनता और कंपनियों की इनकम पर लगाया जाता है। चाहे वह इनकम किसी भी स्रोत से हुई हो, जैसे-इन्वेस्टमेंट, सैलरी, ब्याज इत्यादि। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं।
इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर)
ग्राहकों द्वारा कोई वस्तु खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान लगाया जाने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है। पहले कस्टम्स ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी और वैट इसका प्रमुख हिस्सा थे, लेकिन इनकी जगह पर अब जीएसटी है। हालांकि, कस्टम ड्यूटी अभी बनी रहेगी।
कस्टम्स ड्यूटी
दरअसल कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है, जो कि देश में इम्पोर्ट होने वाले सामानों (आयात) पर लगाया जाता है।
टैक्स रेवेन्यू (कर राजस्व)
सरकार टैक्स लगा कर जो पैसे हासिल करती है, उसे टैक्स रेवेन्यू कहा जाता है। आम तौर पर सरकार विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाती है, ताकि योजनागत और गैर-योजनागत व्यय के लिए धन (पैसा) एकत्र कर सके। आमतौर पर सरकार की इनकम का प्राथमिक और प्रमुख स्रोत टैक्स ही होता है।