नई दिल्ली, 18 जून (हि.स.)। संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला सत्र है। यह सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। इस सत्र में सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। बजट की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को पूर्ण बजट पेश करेंगी। इससे पहले आर्थिक सर्वेक्षण संसद में सरकार पेश करती है। बजट से पहले पेश किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण और अन्य जानकारी इस प्रकार है।
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण और इसके मायने
आमतौर पर सरकार बजट पेश करने से पहले आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा में करती है। आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था का पूरा लेखा-जोखा रहता है। इसके अलावा इसमें सरकार की आर्थिक नीति का ब्योरा भी रहता है। साथ ही जीडीपी की ग्रोथ क्या रही और आईआईपी के आंकड़े और इससे संबंधित पूरी जानकारी आर्थिक सर्वेक्षण में रहती है। इस बार वित्त मंत्री बजट से एक दिन पहले 4 जुलाई को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी।
आर्थिक सर्वेक्षण होता है बजट का आधार
आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार है। इसमें प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय भी शामिल होती है। यह जरूरी नहीं है कि आर्थिक सर्वेक्षण की बातें ही बजट में हों। लेकिन बजट आने से पहले आने वाले आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे) का अध्ययन भी जरूरी है। इसी आधार पर अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों का पता आपको चल सकेगा। बजट के एक दिन पहले 4 जुलाई को इकोनॉमिक सर्वे 2019 पेश किया जाएगा। इसमें देश की आर्थिक स्थिति की जानकारी होगी।
बजट की तारीख, समय और शेड्यूल
आमतौर पर बजट में सरकार के वार्षिक खर्च और आमद का लेखा-जोखा होता है। वित्त मंत्रालय अलग-अलग उद्योग संगठनों के साथ बैठक कर रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला बजट 5 जुलाई, 2019 को संसद में पेश करेंगी। यह बजट वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश किया जाएगा। बजट के फैसले मार्च 2020 तक लागू रहेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को सुबह 11 बजे अपना बजट भाषण शुरू करेंगी। आमतौर पर बजट भाषण 90 से 120 मिनट का होता है। बजट पेश होने से पहले मोदी सरकार के पूरे कैबिनेट की बैठक होगी। बजट के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाएगी।
1999 से पहले फरवरी के आखिरी आता था बजट
1999 से पहले बजट फरवरी के आखिरी कामकाजी दिन को शाम 5 बजे पेश होता था। वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के समय में 1999 में ये परंपरा बदली गई और बजट सुबह 11 बजे पेश होने लगा। 2016 से पहले रेल बजट अलग दिन पेश होता था। हालांकि सितंबर 2016 में मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदल दिया। अब रेल बजट पूर्ण बजट में ही शामिल किया जाता है।