भोपाल, 06 मई (हि.स.)। लॉकडाउन के बीच इस साल बुधवार, 07 मई को पूरा देश बुद्ध पूर्णिमा मनायेगा। वैशाख माह की यह पूर्णिमा खगोल विज्ञान की दृष्टि से भी खास होगी, क्योंकि इस दिन शाम को आसमान में साल का अंतिम सुपरमून के दीदार होंगे। बुद्ध पूर्णिमा का चांद बेहद ही खास होगा। पृथ्वी से इसकी दूरी तीन लाख 61 हजार 184 किलोमीटर रहकर यह आम पूर्णिमा के चांद की तुलना में 14 फीसदी बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देगा। यह जानकारी भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड से पुरस्कृत विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बुधवार को बातचीत में दी।
सारिका घारू कहा कि बुद्ध पूर्णिमा पर गुरुवार, 07 मई को आसमान में दिखने वाला चंद्रमा सुपरमून होगा। यह सुपरमून इस दिन शाम 6.52 बजे पूर्वी आकाश में उदित होना आरंभ कर अगले दिन शुक्रवार को सुबह 5.36 बजे अस्त होगा। पूर्व में क्षितिज से उदित होते चंद्रमा के सामने वृक्षों, लैंडमार्क या भवनों के होने से इसके बड़े आकार का अनुभव होगा। वातावरण की घनी परत से इसका प्रकाश आने से इसका रंग तामिया दिखेगा। उदय होने के बाद जैसे-जैसे यह ऊपर आता जाएगा, इसकी चमक भी बढ़ती जाएगी। अगर आपकी छत या आंगन से सुपरमून को उदय होते देखने की सुविधा हो तो इसकी फोटोग्राफी भी की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह आम पूर्णिमा के चांद की तुलना में 14 फीसदी बढ़ा और 30 फीसदी चमकदार दिखाई देगा। पशिचमी देशों में इस समय खिलने वाले फूलों के कारण इसे सुपरफ्लावर मून, कार्न प्लांटिंग मून, मिल्कमून नाम भी दिया गया है। सारिका ने बताया कि इसे देखने के लिये टेलीस्कोप की अनिवार्यता नहीं है। यह साल का अंतिम सुपरमून होगा। इसके बाद अब अब अगला सुपरमून 27 अप्रैल 2021 को दिखेगा।
क्या होता है सुपरमून विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कहा कि कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा अंडाकार पथ पर करता है, जिसमें उसकी पृथ्वी से अधिकतम दूरी चार लाख छह हजार 692 किलोमीटर होती है, जिसे अपोजी कहते हैं तथा न्यूनतम दूरी तीन लाख 56 हजार 500 किलोमीटर होती है, जिसे पेरिजी कहते हैं। जब चंद्रमा की दूरी पृथ्वी से तीन लाख 61 हजार 885 किमी से कम होती है, तो उसे सुपरमून कहा जाता है। इस दौरान यह बड़ा और अधिक चमकदार दिखाई देता है। तो बुद्ध पूर्णिमा पर साल के अंतिम सुपरमून के दीदार करने के लिए तैयार रहें।