भारत-बांग्लादेश सीमा पर जान बचाने की मजबूरी में करनी पड़ती है फायरिंग : बीएसएफ

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ढाका, 19 सितम्बर (हि.स.)। भारत-बांग्लादेश सीमा पर पिछले कई महीनों से फायरिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। तस्कर लगातार सीमा पार करने की कोशिश करते हैं और रोकने पर बीएसएफ जवानों को मौत के घाट उतारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। जान बचाने के लिए जवानों को फायरिंग करनी पड़ती है। इसलिए बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस साल 8 जुलाई को ढाका में भारतीय उच्चायोग को लिखित रूप से अपनी चिंता और विरोध व्यक्त किया है।

बांग्लादेश में इसका दुष्प्रचार भी किया जा रहा है कि बीएसएफ की टीम सीमा पर लगातार बांग्लादेशी नागरिकों को गोली मार रही है, लेकिन हाल ही में द्विपक्षीय वार्ता के लिए ढाका पहुंचे बीएसएफ के प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया है कि साधारण लोग यह नहीं जानते कि बीएसएफ की गोलीबारी के कारण बांग्लादेशी सीमा पर क्यों मर रहे हैं। बांग्लादेश की मीडिया वास्तविक सच्चाई का खुलासा नहीं कर रही है। परिणामस्वरूप, बांग्लादेश के लोग भारत और बीएसएफ के खिलाफ गलत समझ रहे हैं। बीएनपी-जमात सहित पाकिस्तान समर्थक लोग इसका लाभ ले रहे हैं।
हालांकि, बांग्लादेश के सीमावर्ती शहर बेनापोल के मेयर अशरफुल आलम लिटन ने कहा कि बांग्लादेशी तस्कर चोरी का सामान लाने के लिए भारत जाते हैं। जब भी बीएसएफ हस्तक्षेप करती है, तस्कर अक्सर उन पर हमला करते हैं।  नतीजतन, बीएसएफ को फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ता है। हालांकि, बांग्लादेश की मीडिया ने सोची-समझी साजिश के तहत तस्करों को व्यापारी की संज्ञा दी है और दावा करता है कि गलती से सीमा पार कर दिया था। सभी को वास्तविक सच्चाई जानने की जरूरत है।
बांग्लादेशी राजनयिक सूत्रों के अनुसार, इस साल जनवरी से जून तक सीमा पर बीएसएफ द्वारा 25 बांग्लादेशियों को मार दिया गया था। जनवरी से जून 2019 तक वह संख्या 16 थी। इस स्थिति में, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बीजीबी मुख्यालय के सम्मेलन कक्ष में महानिदेशक के स्तर पर एक सीमा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं।
बीजीबी सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन में पहले ही बीएसएफ के साथ भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेशी नागरिकों की फायरिंग में मौत, ड्रग्स तस्करी, आग्नेयास्त्रों की तस्करी और गोला-बारूद को सीमा पार कराने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई है। बेनापोल नगर निगम के मेयर अशरफुल आलम लिटन ने कहा कि बीएसएफ को जान-बूझकर नहीं बल्कि अपनी जान बचाने के उद्देश्य से गोलीबारी करनी पड़ती है और चूंकि हम जनप्रतिनिधि हैं, इसलिए हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। हालांकि, भारत में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ को रोकने के लिए, बीजीबी को नियमित गश्त करनी होगी। उन्होंने दावा किया कि तस्करों का बीजीबी के साथ आर्थिक संबंध रहता है, इसलिए वे बांग्लादेश से स्वतंत्र रूप से भारत जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि जिस तरह चीनी, प्याज, लहसुन, अदरक और अन्य दैनिक आवश्यकताएं भारत से आती हैं, उसी तरह अवैध तरीके से हथियारों और फ़ेंसिडिल सहित विभिन्न दवाओं को लाया जाता है। और यह दवा युवा समाज को नष्ट कर रही है।
चुयाडांगा जिले के पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष महफूजुर रहमान मोनजू ने कहा कि सीमा पर बीएसएफ की गोलीबारी से बांग्लादेशी नागरिकों की हत्या को रोकने के लिए भारत में अवैध प्रवेश रोकने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सीमा के लोगों को कानूनी रूप से सामान खरीदने और बेचने के लिए अधिक सीमा हाट (बाजार) स्थापित करने होंगे। महफूजुर रहमान ने आगे कहा कि बीजीबी ने कई बार तस्करों को गिरफ्तार किया है लेकिन जमानत पर रिहा होने के बाद वे फिर से तस्करी में शामिल हो जाते हैं।

 


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