बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन महिलाओं के नेतृत्व वाली चार रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाएगा

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बीआरओ ने सड़क निर्माण की विभिन्न भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाई

 चीन सीमा पर रणनीतिक सड़क निर्माण में अहम भूमिकाएं निभा रही हैं महिलाएं



नई दिल्ली, 19 सितम्बर (हि.स.)। आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी जश्न मनाना शुरू कर दिया है। राष्ट्र निर्माण में अग्रणी और मजबूत राष्ट्रीय चरित्र के प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं की संगठन में पैठ मजबूत हुई है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन महिलाओं के नेतृत्व वाली चार रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाएगा जिनमें से उत्तर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में दो-दो होंगी।

बीआरओ प्रवक्ता का कहना है कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों के स्तर तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। संगठन को दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण के प्रयास में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार रहेंगी। इसीलिए संगठन में महिलाओं को उच्च नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपी जा रही हैं। सुश्री वैशाली एस हिवासे ने 28 अप्रैल 2021 को जीआरईएफ अधिकारी ईई (सिविल ) के रूप में 83 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की बागडोर संभाली। वह भारत-चीन सीमा पर मुनिसैरी-बगदियार-मिलम को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़क पर कार्यरत हैं। वह विपरीत चुनौतियों पर नियंत्रण करके अपनी जिम्मेदारियों को सावधानीपूर्वक निभा रही हैं।

बीआरओ ने 30 अगस्त 2021 को प्रोजेक्ट शिवालिक में मेजर आइना को ऑफिसर कमांडिंग के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने उत्तराखंड के चमोली जिले के पीपलकोटी में 75 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी (आरसीसी) में कार्यभार संभाला है और वह सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर हैं। इतना ही नहीं उनके अधीन तीनों प्लाटून कमांडर कैप्टन अंजना, एईई (सिविल ) सुश्री भावना जोशी और एईई (सिविल) सुश्री विष्णुमाया भी हैं। इन तीनों महिला अधिकारियों ने मिलकर पहली महिला रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी (आरसीसी) बनाई है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन की योजना महिलाओं के नेतृत्व वाले ऐसी चार आरसीसी बनाने की है, जिनमें से उत्तर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में दो-दो होंगी।

पिछले छह दशकों में बीआरओ ने सड़क निर्माण की विभिन्न भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाई है। उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार और उत्तरदायित्व देकर उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में नारी शक्ति की प्रतीक बन गई हैं। महिला सशक्तीकरण की दिशा में बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोजगार भूमिकाओं में विविधता, उच्च शिक्षा के रास्ते, उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, साहसिक कार्य के अवसर, खेल और समग्र रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं, क्योंकि वे जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। कल्याणकारी पहलों के हिस्से के रूप में पेशेवर डोमेन के अलावा महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण के लिए भी शिक्षित किया जा रहा है।

बीआरओ प्रवक्ता के अनुसार संगठन ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण के लिए समर्पित शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए हैं। बालिकाओं के लिए समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना बीआरओ के लिए एक और महत्वपूर्ण पहलू है। कोरोना महामारी के दौरान भी बच्चों, विशेषकर लड़कियों के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। आज की दुनिया में शिक्षा, संचार कौशल, व्यय योग्य आय और इंटरनेट तक पहुंच सशक्तीकरण के कुछ महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इसके लिए सजग बीआरओ अपनी सेवारत महिला अधिकारियों को समान विकास अवसर प्रदान करता है जो सड़क निर्माण में एक अभिन्न शक्ति है। जैसे-जैसे समय में परिवर्तन होता है और आकांक्षाएं बढ़ती हैं, इन आकांक्षाओं के साथ बीआरओ निरंतर महिला सशक्तीकरण के अपने मूल विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहता है।


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