बिहारी आईएएस ने एवरेस्ट पर पहुंचा दिया भारत के सभ्यता का प्रतीक गंगाजल
बेगूसराय,28मई(हि.स.)। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती बेगूसराय ने एक से एक लाल पैदा किया है। जिन्होंने देश विदेश में नाम रौशन किया है। अब इसी धरती के एक लाल ने दुनिया के सबसे ऊंचीi एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक गंगाजल अर्पित कर देश की संस्कृति को विश्व में स्थापित किया है। यह काम किया है बेगूसराय जिला के बसही निवासी यूपीएस कैडर के बिहारी आईएएस अधिकारी तथा केन्द्रीय जल एवं स्वच्छता मंत्री के सहायक रविंद्र कुमार ने।
23 मई को जब पूरा देश मतगणना की तैयारी में था तो रविन्द्र अहले सुबह 4:20 बजे माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचे और भारत की शान तिरंगा लहराया। इसके बाद साथ में लाया गया भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक गंगा जल अर्पित किया। स्वच्छ गंगा-स्वच्छ भारत एवरेस्ट अभियान के तहत यह मंजिल हासिल करने वाले रविंद्र कुमार ने एवरेस्ट की चोटी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नमामि गंगा और स्वच्छ भारत अभियान के साथ बिहार सरकार का लोगो लगा कर दुनिया का ध्यान आकृष्ट कराया है। रविंद्र कुमार भारत के पहले और एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर जाकर भारत का तिरंगा शान से लहराया। इधर उनके पैतृक गांव बसही में यह खबर पहुंचते ही खुशी की लहर फैल गई है।
सकुशल वापस लौटने के बाद रविंद्र कुमार ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में पीने के पानी की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है तथा यह एवरेस्ट फतह अभियान इसी को समर्पित था। नीति आयोग ने अपने रिपोर्ट कार्ड कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स में कहा है कि 2020 तक दिल्ली और 21 अन्य शहरों में भूगर्भीय जल की भारी कमी होने से एक सौ करोड़ लोग प्रभावित हो जाएंगे। 85 प्रतिशत ग्रामीण जीवन भूमिगत जल पर आधारित है, जिसमें 19 राज्य के 184 जिला दूषित जल से बुरी तरह प्रभावित है। जैविक और रासायनिक प्रदूषण से जल स्रोत दूषित हो रहे हैं। भूजल संकट, जल प्रदूषण के कारण जल और जमीन पर संकट पैदा होता जा रहा है। भारत की आधी आबादी जल संकट, प्रदूषित जल संकट से जूझ रही है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाले भीषण जल संकट के समाधान के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता। इसके लिए सभी लोगों को आगे आना होगा और जन आंदोलन के रूप में इस समस्या को राष्ट्रव्यापी बनाना होगा। एवरेस्ट की चोटी पर गंगा जल अर्पित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गंगा सिर्फ नदी नहीं, भारत के 50 करोड़ लोगों के लिए जीवनदायिनी है। एवरेस्ट पर जलार्पण एक प्रतीक है कि हम लोगों को स्वच्छ जल के लिए समय रहते सचेत होना होगा। रविंद्र कुमार ने गांव में ही प्राथमिक शिक्षा पूरी कर बेगूसराय नवोदय से नई उड़ान भरी और आईएएस बनकर उत्तर प्रदेश तथा सिक्किम में एसडीएम, एडीएम, सीडीओ, डीएम एवं कमिश्नर के बाद केन्द्रीय मंत्री के सहायक पद पर रहने के दौरान कुछ नया सोचते रहे। 2011 में सिक्किम में आए भूकंप के दौरान रेस्क्यू में लगे थे, तभी भूकंप के कारणों की तलाश के लिए एवरेस्ट पर जाने का निर्णय लिया और 2013 में नेपाल के रास्ते एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच कर नया अध्याय लिख दिया। इसके बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को लेकर एवरेस्ट पर जाने का निर्णय लिया तथा 25 अप्रैल 2015 को बेस कैंप में पहुंच भी गए थे। लेकिन बेस कैंप के आसपास भारी भूस्खलन में व्यापक क्षति होने तथा आगे भी खतरा रहने के कारण सरकार ने यात्रा पर रोक लगा दी। जिसके बाद उन्होंने एवरेस्ट-सपनों की उड़ान सिफर से शिखर तक किताब लिखी तथा लगातार अपने प्रयास में लगे रहे। इस वर्ष उन्हें स्वीकृति मिली और दिल्ली होते हुए दस अप्रैल को काठमांडू पहुंच गए। 12 अप्रैल को वहां से बेस कैंप के लिए रवाना हुए तथा ल्हासा होते हुए 18 अप्रैल को उत्तरी चीन में 52 सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप पहुंचे। लेकिन वहां पहुंचते पहुंचते बेस कैंप के आसपास मौसम खराब हो गया तथा रास्ता बंद रहने के कारण यात्रा रुकी रही। 22 मई को चीनी अधिकारियों ने जब रास्ता खोला तो रवाना हुए और 23 मई की सुबह एवरेस्ट पर पहुंचकर पूरी दुनिया में अपने जन्म भूमि बेगूसराय, बिहार और भारत का नाम रौशन किया। जहां कि प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की निशानी अर्पण करने के बाद प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ्य भारत निर्माण को लेकर शुरू किए गए अभियान के साथ पानी की ओर दुनिया का ध्यान आकृष्ट कराया है।
आर्यभट्ट के निदेशक प्रो अशोक कुमार सिंह अमर बताते हैं कि रविंद्र कुमार में आईएएस बनने के बाद इन के स्वभाव में तनिक भी घमंड की बू तक नहीं आयी। आईएएस की नौकरी पाकर कोई भी आराम की जिंदगी जीता है। लेकिन रविंद्र आईएएस बनने के बाद प्रकृति की यातनाओं को झेलते हुए माउंट एवरेस्ट पर पताका फहरा कर हम सबों को गौरवान्वित किया है। इतना ही नहीं वे भारत के प्रथम आईएएस अधिकारी हुए, जिन्होंने इतना बड़ा दुस्साहस किया। बेगूसराय ही नहीं पूरे बिहारवासी को अपने इस माटी के लाल पर गर्व है।